शिमला: प्रदेश के जल शक्ति मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह की पोती को घायल अवस्था में आईजीएमसी पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपना हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाया। हालांकि इस बात पर सवाल नहीं उठना चाहिए कि मासूम 9 साल की बच्ची को क्यों यह सुविधा दे दी गई, लेकिन इस घटना के बाद अब सरकार को यह बारीकी से सोच लेना चाहिए कि पहाड़ी प्रदेश में एयर एंबुलेंस की क्या अहमियत है।
बताते हैं कि राज्य सरकार ने इस बाबत एक एमओयू भी साइन किया था। लेकिन अब तक कोई बात सिरे नहीं चढ़ी। फिलहाल जानकारी के मुताबिक जनशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की पोती घर पर खेलते-खेलते गिर जाने की वजह से घायल हो गई थी। पहले धर्मपुर से मंडी रैफर किया गया, जहां से बच्ची को आईजीएमसी रैफर किया गया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पहले बच्ची को एंबुलेंस में ही बिलासपुर तक पहुंचाया गया, उसके बाद हेलीकॉप्टर के माध्यम से बच्ची को आईजीएमसी पहुंचाया। हेलीपैड पर प्रशासन भी पहुंच गया था यह बात रविवार शाम 6 बजे के आसपास की है। आइजीएमसी में फौरन ही बच्चे का ऑपरेशन कर दिया गया। लिहाजा अब हालत स्थिर है।
हालांकि लॉकडाउन में प्रदेश में हादसों में काफी गिरावट आई है,लेकिन खराब सड़कों, एंबुलेंस की उपलब्धता व सही समय पर उपचार न मिलने की वजह से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। कई उदाहरण ऐसे भी हैं जब सड़क हादसे के घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने में ही घंटों लग जाते हैं। कुल मिलाकर बच्चा चाहे मंत्री का हो या आम आदमी का सबके जीवन की रक्षा करने का दायित्व सरकार के साथ-साथ समाज का भी बनता है। मगर अब सरकार को ये समझ लेना चाहिए कि नाज़ुक हालत में मरीजों को एयरलिफ्ट करने की सुविधा होनी चाहिए। पडोसी राज्य उतराखण्ड में एसडीआरएफ भी क्रियान्वित है जो आपदा की सूरत में सक्रिय हो जाती है।