नाहन : बेशक ही पच्छाद उप चुनाव में भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इस चुनाव में कई रोचक पहलू भी सामने आ रहे हैं। यहां केवल दो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की बात हो रही है। आप जानकर हैरान होंगे कि भाजपा की युवा प्रत्याशी रीना कश्यप के जन्म से पहले मुसाफिर दो मर्तबा विधायक बन चुके थे।
दरअसल मुसाफिर का जन्म 10 नवंबर 1945 को हुआ है, वहीं भाजपा की युवा प्रत्याशी रीना कश्यपका जन्म 16 सितंबर 1985 को हुआ। कांग्रेस में हैवीवेट नेताओं की सूची में शामिल रहे मुसाफिर ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर 1982 में पहला चुनाव जीता था। 1985 में मुसाफिर दूसरी बार विधायक बने। 25 साल तक के राजनीतिक जीवन में मुसाफिर को बुलंदिया ही मिली। लेकिन 2012 के बाद से दो बार हार का सामना करना पड़ा। एक मर्तबा लोकसभा का चुनाव भी हारे। जहां तक भाजपा की प्रत्याशी रीना कश्यप का सवाल है तो उनके पास खोने को कुछ नहीं है।
छोटी उम्र में ही रीना को पंचायतीराज संस्थाओं के कार्य का अनुभव है। 26 साल की उम्र में जिला परिषद के शिलांजी वार्ड से चुनाव जीत चुकी हैं। लोक प्रशासन में एमए कर चुकी रीना कश्यप अगर जीत का परचम फहराती हैं तो वो 34 साल की उम्र में विधायक बनेगी, जबकि मुसाफिर 37 साल की उम्र में विधायक बने थे।
अब आप सोच रहे होंगे कि भाजपा ने रीना कश्यप को टिकट देकर एक तीर से तीन निशाने साधने का कैसे प्रयास किया। दरअसल उप चुनाव में राजगढ़ क्षेत्र से टिकट की मांग जोर पकड़ चुकी थी। रीना को टिकट देकर पहला निशाना साध लिया गया। आशीष सिक्टा को टिकट न देकर महिला को प्रत्याशी बनाया। इससे भाजपा ने दूसरे निशाने में महिलाओं को साधने की कोशिश की। यही नहीं बीजेपी ने दयाल प्यारी की बजाय रीना कश्यप को टिकट देकर अपने सांसद सुरेश कश्यप के अलावा विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी को भी खुश कर दिया।