दिनेश कुंडलस/शिमला
भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाने का वायदा किया था। यहां तक की गुडि़या व होशियार सिंह हेल्पलाइन भी शुरू की गई। मगर जयराम सरकार अधिकारियों की निष्ठा व ईमानदारी पर उद्योगपतियों के आगे घुटने टेक रही है। आबकारी एवं कराधान विभाग के परवाणु प्रवर्त्तन कार्यालय में ज्वाइंट कमीश्नर के तौर पर तैनात डॉ. सुनील कुमार का तबादला विभाग के मुख्यालय में शिमला कर दिया गया है।
आप यह जानकर भी हैरान हो जाएंगे कि परवाणु में इस पद पर पालमपुर में तैनात हितेश शर्मा को अतिरिक्त कार्यभार साैंपा गया है। अब सवाल उठता है कि जब इतने संवेदनशील पद पर तैनाती के लिए कोई अधिकारी नहीं था तो आनन-फानन में उस अधिकारी के तबादले की क्या आवश्यकता थी, जिसने दिसंबर महीने में 150 करोड़ रुपए के जीएसटी घोटाले का पर्दाफाश कर हर किसी को हैरान कर दिया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि हिमाचल देश में गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक के बाद चौथा राज्य था, जहां जीएसटी मामले में गिरफ्तारी हुई।
इसके बाद पड़ोसी राज्यों के अधिकारी भी यह जानने के लिए आते रहे कि कैसे जीएसटी मामले में गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि अधिकारी के तबादले की इबारत उस समय लिख दी गई होगी, जब अधिकारी ने कालाअंब के दो उद्योगपतियों को जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार किया था। हैरान कर देने वाली बात यह है कि जीएसटी केंद्र में बीजेपी सरकार की देन है। केंद्र सरकार बार-बार यह कहती रही है कि जीएसटी के घोटालेबाजों को नहीं बख्शा जाएगा। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने ईमानदार छवि के अधिकारी का तबादला कर साबित कर दिया है कि सरकार को उद्योगपतियों के दबाव में काम करना पड़ रहा है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि ट्रांसफर किया गया अधिकारी इस घोटाले में कुछ अन्य उद्योगपतियों को भी गिरफ्तार करने की तैयारी कर चुका था। इसके लिए बकायदा अनुमति भी मांगी गई थी। पुख्ता सूत्रों का कहना है कि विभाग के परवाणु कार्यालय में इस जीएसटी फ्रॉड को खुफिया नेटवर्क के जरिए पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी। ऐसा भी है कि नॉर्थ इंडिया में अपनी तरह का यह सबसे बड़ा जीएसटी घोटाला था। विभाग ने अपने स्तर पर ही जीएसटी अधिनियम में शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उद्योगपतियों को गिरफ्तार किया था।
यह भी रही हैं खास बातें….
परवाणु में तैनाती के दौरान डॉ. सुनील कुमार की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त रही है। मोटे तौर पर अगर बात की जाए तो एक से डेढ़ साल के बीच दो बड़े मामले सामने आए थे। इसमें राजधानी के पैट्रोल पंपों के जीएसटी के गोलमाल के अलावा कोचिंग संस्थानों पर शिकंजा कसने की बातें थी। सूत्रों का यह भी कहना है कि कई अहम मामलों को लेकर भी डॉ. सुनील कुमार वर्किंग कर रहे थे। दीगर है कि ज्वाइंट कमीश्नर ने अपनी टीम के दम पर नवंबर 2018 में ऊना के एक कार डीलर का भी 27 करोड़ का टैक्स चोरी मामला पकड़ा था। यह फर्म नगरोटा में पंजीकृत थी, जिसकी शाखा ऊना से ऑपरेट हो रही थी।
2009 से पहले कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र में बतौर ईटीओ तैनाती के दौरान भी डॉ. सुनील कुमार के कई अहम किस्से चर्चा में रह चुके हैं। इस दौरान टैक्स चोरी कर भाग रहे सरिए के ट्रक के पीछे लटकना भी शामिल है। उस समय भी डॉ. सुनील कुमार को कांग्रेस सरकार में तत्कालीन आबकारी व कराधान मंत्री रंगीला राम राव ने सस्पेंड करने के मौके पर ही आदेश जारी कर दिए थे। हालांकि बाद में इसे निरस्त कर दिया गया।
ऐसा भी हो सकता है संभव…
अधिकारी का ट्रैक रिकॉर्ड जबरदस्त है। इतना तय है कि मौजूदा जयराम सरकार के कार्यकाल के दौरान डॉ. सुनील कुमार फील्ड में राजस्व एकत्रित करने को लेकर सबसे बेहतरीन अधिकारी रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकार चुनाव का तर्क देकर तबादले को न्यायसंगत बताने की कोशिश कर सकती है, लेकिन यह बात शायद ही किसी को हजम होगी।
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