एमबीएम न्यूज़/नाहन
रणजी ट्रॉफी में केरल ने गुजरात को हराकर सेमीफाइनल में जगह बना एक इतिहास रच दिया है। लेकिन बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि केरल ने यह इतिहास हिमाचली बेटे राजेश चौहान की बदौलत हासिल किया है, क्योंकि राजेश ही टीम के फिटनेस ट्रेनर की भूमिका में थे। एक अरसे से राजेश चौहान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों को फिटनेस के गुर देते आ रहे हैं। आईसीसी के पैनल पर समूचे एशिया से पहला फिटनेस ट्रेनर बनने का गौरव भी राजेश को ही हासिल है।
मूलत: ट्रांसगिरी क्षेत्र के शिलाई के रहने वाले राजेश का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में भी राजेश के हुनर की चर्चा हो रही है। 31 साल के राजेश की बदौलत केरल की टीम को फिटनेस के ऐसे गुर हासिल हुए की टीम रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंच गई।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने 12 फरवरी 2017 को राजेश के बारे में पाठकों को अवगत करवाया था। विश्व के कई नामी क्रिकेटर अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से राजेश चौहान की प्रशंसा करते रहे हैं। नाहन के शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में जमा दो की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजेश का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। चंडीगढ़ में ऑस्ट्रेलियन स्पोर्ट्स कमीशन की पढ़ाई शुरू की, जो दुबई तक जारी रही। इसी की बदौलत राजेश को फिटनेस ट्रेनर बनने का मौका मिला। उनका कहना है कि वह पूरा ध्यान खिलाड़ियों की फिटनेस पर केंद्रित करते हैं। घर आने का मौका काफी कम मिलता है। अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी डीएसपी के पद पर कार्यरत बुआ गुलशन चौहान को प्रेरणा मानने वाले राजेश क्रिकेट जगत में अपनी एक पहचान बना चुके हैं।
राजेश अपनी फिटनेस लेकर भी जमकर पसीना बहाते हैं, वर्कआउट के इलावा डाइट पर खास ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिटनेस के बगैर स्पोर्ट्स में मुकाम हासिल करना कठिन है। साथ ही समूचे प्रदेश के लिए भी यह गौरव के पल हैं, जब रिमोट गांव में साधारण परिवार में जन्मा बेटा प्रदेश का नाम देश व विदेश में रोशन कर रहा है। अफ़सोस जनक बात यह है कि हिमाचल अपनी प्रतिभा को पहचानने में चूक करता रहा है। केवल सिरमौर की बात करे तो द ग्रेट खली, भारतीय महिला हॉकी की पूर्व कप्तान सीता गोसाई व अंतराष्ट्रीय शूटर समरेश जंग ऐसे हीरे है, जिनकी बदौलत न केवल सिरमौर, बल्कि समूचे प्रदेश के स्पोर्ट्स को नई दिशा मिल सकती थी।
केरल क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम में राजेश एक खास चेहरा है। करीब एक साल से टीम को फिट करने में लगे रहे। वेस्टइंडीज के डेरेन ब्रावो के पर्सनल ट्रेनर रह चुके राजेश चौहान का मंत्र रहा है कि आप खिलाड़ियों के टीचर नहीं होते, बल्कि दोस्त की तरह टिप्स देने होते हैं।