एमबीएम न्यूज/पांवटा साहिब
ट्रांसगिरि क्षेत्र के द्राबिल गांव की सुषमा शर्मा ने महज 10 साल की उम्र में चैंपियन बनने का सपना देखा था। शुक्रवार को खेलो इंडिया के फाइनल मुकाबले में सुषमा खुद तो बतौर टीम कप्तान चैंपियन बनी ही, साथ ही कुशल नेतृत्व के कारण हरेक सदस्य गौरवान्वित हो गया है। छह बहन-भाईयों में सबसे छोटी सुषमा ने उस वक्त कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था, जब उम्र 9 साल की थी। तीन साल पहले साईं हॉस्टल बिलासपुर में दाखिला मिल गया। उल्लेखनीय है कि हरियाणा को 27-30 से हराकर हिमाचल की टीम चैंपियन बनी है।
राज्य से अब तक प्रियंका नेगी, रितु नेगी, निधि शर्मा व कविता ठाकुर देश की महिला कबड्डी टीम में अपना डंका बजा चुकी है। 20 साल की बाला सुषमा का भी लक्ष्य भारतीय टीम में शामिल होकर देश का प्रतिनिधित्व करने का है। अहम बात यह है कि सात खिलाडि़यों ने फाइनल मुकाबले में हिस्सा लिया। इसमें से 4 बेटियां ट्रांसगिरि क्षेत्र की थी। सुषमा के अलावा पुष्पा चौहान, साक्षी शर्मा व गोपी भी जीत का जश्न मना रही हैं। दो दिन बाद टीम जब बिलासपुर पहुंचेगी तो जोरदार इस्तकबाल होगा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सुषमा शर्मा ने कहा कि पूरी टीम केवल गोल्ड मैडल पर ही निशाना साधे हुए थी। उन्होंने कहा कि इंटर यूनिवर्सिटी में एक गोल्ड मैडल के अलावा दो अन्य पदक भी हासिल कर चुकी हैं। इसके अलावा जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल हुआ था। यानि सुषमा अब तक राष्ट्रीय स्तर तक अपनी चमक बिखेरने में बखूबी कामयाब हुई है। द्राबिल गांव में पिता मदन सिंह के अलावा पूरा क्षेत्र टीम की कामयाबी पर फूला नहीं समा रहा।
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