एमबीएम न्यूज/शिमला
इंडियन आइडल-10 में महज एक कदम से हिमाचली लाल विजेता बनने से चूक गया। मगर हार कर भी बाजीगर बना है। मामूली वोट कम पड़ने से अंकुश को उप विजेता के खिताब पर संतोष करना पड़ा। खिताब के विजेता सलमान अली व अंकुश भारद्वाज टॉप-2 कंटेस्टेंटस में पहुंचे थे। इस मौके पर शाहरूख खान, अनुष्का शर्मा, व कैटरीना कैफ ने खास अंदाज में शिरकत की। साथ ही पलों को यादगार बनाया। इंडियन आइडल की सह निर्णायक नेहा कक्कड़ ने युवा प्रतिभागियों के साथ डांस प्रफार्मेंस की।
प्रदेश के एक छोटे से गांव के लड़के ने अपनी मखमली आवाज से प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बेशक ही खिताब जीतने से एक कदम दूर रह गया हो, लेकिन अपनी आवाज से हर किसी को दिवाना बना दिया। मूलतः शिमला के कोटगढ़ के रहने वाले अंकुश भारद्वाज के परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि बेटे की आवाज की दुनिया मुरीद हो जाएगी। मां भी नहीं चाहती थी कि बेटा गायकी के पेशे को अपनाए।
आंखों की गंभीर बीमारी से जूझ रहा अंकुश
अंकुश अरसे से आंखों की बीमारी से जूझ रहा है। आई डिस्आर्डर की बीमारी के बावजूद भी अंकुश ने कभी हौंसला नहीं छोड़ा। कोटगढ़ के लोस्टा गांव के रहने वाले अंकुश को बचपन से ही गाने का शौक रहा है, लेकिन किसी बड़े मंच पर पहुंचने का मौका नहीं मिला। अब जब इंडियन आइडल में यह मौका मिला तो हर किसी को अपना दीवाना बना लिया। पिता सुरेश भारद्वाज हर कदम पर बेटे के साथ रहे, लेकिन मां कमलेश को बेटे की गायकी मंजूर नहीं थी। एमबीए की पढ़ाई कर चुके अंकुश ने अपनी मां को कमरे में बंद करने के बाद इंडियन आइडल का रुख कर लिया।
इस मुकाम पर आज मां बेटे के फैसले पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही है। पारिवारिक जानकारी के मुताबिक चार साल की उम्र में ही अंकुश की आंखों की रोशनी कम होने लगी थी। परिवार को यही चिंता सताती थी कि मुंबई जाने के बाद अंकुश की आंखों का इलाज नहीं हो पाएगा, लेकिन बेटे की जिद के आगे परिवार की नहीं चली। सनद रहे कि अंकुश के पिता भी रेडियो में गाना गाया करते थे। लिहाजा पिता ने ही बेटे को संगीत की तालीम प्रदान की
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