एमबीएम न्यूज/नाहन
नौहराधार क्षेत्र के एक गांव में जीजा ने 15 वर्षीय साली से दुराचार की शर्मनाक घटना को अंजाम दिया है। हैरानी इस बात की भी है कि डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने पीडि़ता के मेडिकल को लेकर भी खासी टालमटोल की। महिला थाना में चार दिन पहले मुकद्मा दायर हुआ था। हरियाणा के मोरनी इलाके से करीब 15 साल की युवती अचानक ही लापता हो गई। इसके बाद गरीब मां ने बच्ची को तलाश करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हुई। पीडि़ता की मौसी की बेटी की शादी आरोपी जोगिंद्र से नौहराधार के एक गांव में हुई थी। करीब दो महीने बाद पीडि़ता ने अपनी मां को फोन भी किया।
गरीब मां सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर गांव पहुंची, लेकिन रात को आरोपी के भाई ने मां को अपनी बेटी व पीडि़ता के साथ नहीं सोने दिया। तड़के ही आरोपी के भाई यशपाल ने पीडि़ता को जंगल में छिपा दिया। मां भटक-भटक कर वापस लौट गई। इधर आरोपी की पत्नी ने भी अपने माता-पिता को फोन कर बताया कि पति घर पर कलेश कर रहा है और इसकी वजह मौसी की बेटी है, जिसे जबरन घर पर रखा जा रहा है। पीडि़ता के मौसा-मौसी के साथ आरोपी ने अपनी पत्नी को तो भेज दिया, लेकिन पीडि़ता को छिपाकर रखा।
सूत्रों के मुताबिक पीडि़ता आत्महत्या जैसा संगीन कदम उठाने को भी तैयार हो गई थी, लेकिन इसी बीच चाइल्ड लाइन की टीम ने पीडि़ता को रेस्क्यू कर नाहन महिला पुलिस थाने तक पहुंचा दिया। यहीं से पुलिस ने पीडि़ता की मां को भी सूचित कर बुलाया। पुलिस ने आरोपी जोगिंद्र सिंह के खिलाफ पोक्सो के अलावा आईपीसी की धारा-376 के तहत मुकद्मा दर्ज किया है। जबकि भाई यशपाल के खिलाफ आईपीसी की धारा-365 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस की टीम आरोपियों की धरपकड़ की कोशिश में लगी हुई है।
डीएसपी बबीता राणा ने पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मेडिकल कॉलेज की लापरवाही…पोक्सो एक्ट के मामलों में स्वास्थ्य संस्थानों को संजीदगी दिखानी होती है, लेकिन इस मामले में पूरी कोताही बरती गई। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक पिछले तीन दिनों से पुलिस पीडि़ता को मेडिकल के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर जा रही थी, लेकिन टालमटोल की जाती रही। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अस्पताल के चिकित्सक पुलिस को ही इस मामले में कानून सिखाने लगे। बाद में पीडि़ता की मां को यह कह दिया कि अंदरुनी जांच से उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस पीडि़ता के बयान के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है। सवाल इस बात पर भी उठता है कि जब पहली बार पीडि़ता अस्पताल पहुंची थी तो उसका मेडिकल क्यों नहीं किया गया।