रेणु कश्यप/नाहन
सिरमौर के तीन युवाओं ने मातृ भाषा के ज्ञान में अपनी काबलियत को साबित कर दिखाया है। हालांकि तीनों ही ट्रांसगिरि क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन एक अब सैनधार क्षेत्र की पुत्रवधू है।
दरअसल शिलाई उपमंडल की दाया पंचायत के कूंठ गांव की रीना शर्मा, टटियाना के सतपाल शर्मा व सैनधार क्षेत्र की पुत्रवधू रेखा देवी ने कॉलेज कैडर में हिन्दी विषय के सहायक प्रोफैसर बनने में सफलता अर्जित की है। अहम बात है कि पिछली बार तीनों ही सफल नहीं हो पाए थे।
तीनों कामयाब युवाओं में एक समान बात यह है कि मुख्यमंत्री के उप सचिव के पद पर तैनात एचएएस अधिकारी केवल शर्मा के मार्गदर्शन पर सफलता अर्जित हुई है। तीनों ही प्रत्याशियों ने अपने शिक्षकों व माता-पिता को सफलता का श्रेय दिया है।
28 साल की रीना शर्मा..
ट्रांसगिरि की होनहार बेटी रीना शर्मा अब सहायक प्रोफैसर बन गई है। सफलता में सबसे अहम बात यह है कि रीना ने ओबीसी वर्ग में आवेदन किया था, लेकिन चयन ओपन कैटेगरी में हुआ है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सेे मास्टर्स डिग्री करने वाली रीना की पढ़ाई पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में ही हुई। अपने गांव में ही आठवीं तक शिक्षा हासिल करने के बाद ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई शिलाई में पूरी की।
2016 मेें एमफिल कर चुकी रीना अब अपनी गाइड डॉ. मंजू पुरी के सानिध्य में पीएचडी की पढ़ाई शुरू कर चुकी है। बातचीत के दौरान रीना का कहना था कि शिक्षकों में डॉ. केआर तोमर से प्रेरणा मिली थी। इसके बाद एचएएस केवल शमा से मार्गदर्शन मिला।
बेटी की परवरिश व नौकरी के साथ रेखा की सफलता...
सैनधार के कमलाड़ स्कूल में लैैक्चरर रेखा देवी की सफलता भी असाधारण है। गोद में दो साल की बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी के अलावा सरकारी नौकरी के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी आसान नहीं थी। हालांकि एसबीआई के लाइफ इंश्योरेंस में सीनियर एजेंसी मैनेजर के पद पर तैनात पति शशिकांत शर्मा ने हर कदम पर रेखा का साथ दिया, लेकिन असल चुनौतियों का खुद ही सामना करना था।
प्राईवेट तौर पर एमए करने वाली रेखा ने बीएड के अलावा नेट व सैट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की हुई है। 2014 में एलटी का कमीशन हासिल कर लिया था, लेकिन इसके बाद शादी के अलावा अन्य जिम्मेदारियों को निभाते हुए पढ़ाई को भी जारी रखा। हालांकि रेखा देवी शिलाई के च्याणा गांव की रहने वाली हैं, लेकिन अब सैनधार की पुत्रवधू हैं।
खास बात यह भी बताई गई कि समूचे सैनधार क्षेत्र से पहली बार कोई कॉलेज कैडर में प्रोफैसर बना है। गर्भवती होने के दौरान कुछ पेचिदगियां आई, लिहाजा क्रिटिकल केस होने की वजह से पीजीआई जाना पड़ा। उस दौरान एचएएस अधिकारी केवल शर्मा की तैनाती पीजीआई में ही थी। यहीं से रेखा देवी का उत्साहवद्र्धन शुरू हुआ।
बातचीत में उन्होंने माता-पिता, सास-ससुर के अलावा केवल शर्मा को सफलता का श्रेय दिया है। उल्लेखनीय है कि रेखा देवी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की बेटी हैं।
जमा दो के बाद सतपाल की प्राईवेट पढ़ाई…
स्कूल की पढ़ाई के दौरान दुर्घटनावश सतपाल शर्मा का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा। स्थिति यह हुइ कि जमा दो की पढ़ाई के बाद आगे की रैगुलर पढ़ाई जारी नहीं रख सके। लेकिन पढऩे की ललक में कमी नहीं आई। शिलाई के टटियाना के रहने वाले सतपाल ने न केवल प्राईवेट तौर पर पढ़ाई को जारी रखा, बल्कि मई 2012 में आईपीएच महकमे में क्लर्क का पद भी हासिल कर लिया, ताकि अपना गुजर-बसर ठीक से कर सके।
सरकारी नौकरी मिल जाने के बावजदू भी एमए के साथ-साथ दो मर्तबा नेट क्वालीफाई किया। एक बार सैट भी क्वालीफाई कर चुके हैं। माता-पिता घर पर खेती-बाड़ी से ही गुजर-बसर करते हैं। उनका कहना है कि हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। विशेष बातचीत के दौरान सतपाल कहते हैं कि कड़ी मेहनत व लगन से मुकाम हासिल किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि ओबीसी वर्ग में सहायक प्रोफेसर पद की तीन सीटें थी। इसमें से दो पर सिरमौरियों ने कब्जा किया है।
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