नाहन (रेणु कश्यप) : पंजाब के खरड़ में अखबार बेचने वाले का बेटा आज सिरमौर का डीसी बना है। 2011 बैच के आईएएस अधिकारी ललित जैन (34) का तबादला उपायुक्त के तौर पर किया गया है। बतौर डीसी ललित जैन की यह पहली पारी है। आईएएस अधिकारी ललित जैन ने 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। तकरीबन पांच साल के दौरान जैन अपने कई बिंदास अंदाजो को लेकर चर्चा में आए।
बद्दी में तैनाती के दौरान खनन माफिया के निशाने पर थे, तो धर्मशाला में नगर निगम आयुक्त के तौर पर कई सख्त फैसले लिए। धर्मशाला के सख्त फैसले राजनीतिज्ञों को नागवार भी गुजरे थे। सनद रहे पंजाब के खरड़ कस्बे से आईएएस बनने वाले ललित जैन पहले शख्स हैं। अहम बात यह भी है कि हरियाणा प्रशासनिक सेवा में फेल कर दिए गए थे, इसको लेकर साक्षात्कार में कम अंक मिलने को लेकर एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन 2011 में आईएएस बनने पर इस याचिका को 2012 वापस ले लिया था।
देशभर में यूपीएससी के परीक्षा में 41 वां रैंक हासिल किया तो हर कोई हैरान भी था, क्योंकि इससे पहले यूपीएससी की दो परीक्षाओं में असफल रह चुके थे। महज 34 साल के आईएएस अधिकारी ललित जैन से उम्मीदें भी परवान पर होंगी, इसकी बड़ी वजह यही है कि जिला को एक युवा डीसी मिला है। नवनियुक्त डीसी बताते हैं कि पिता बमुश्किल अखबार बेचकर घर का गुजर बसर करते थे। पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़े ललित जैन को परिवार ने पढ़ाई करवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
आईएएस बनने के बाद ललित जैन ने अपनी ड्यूटी को कर्तव्यपरायणता से निभाने का प्रयास किया। आईएएस अधिकारी का किसी जिला में डीसी बनना सबसे स्वर्णिम समय माना जाता है। लिहाजा अब देखना है कि पहली बार डीसी बने ललित जैन जिला में कितनी कामयाबी हासिल करते हैं। निजी जिंदगी को लेकर कुछ साल पहले विवाद में भी आए थे, लेकिन इस चुनौती का भी सामना बखूबी कर लिया।
आईएएस अधिकारी ललित जैन आज बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारियों के सूची में शुमार किए जाते हैं। संभवत: यही वजह हो सकती है कि उन्हें जिला में बतौर उपायुक्त का कार्यभार सौंपा गया है। खरड़ में शशिपाल जैन व रजनी जैन के घर होनहार बेटे का जन्म 19 मार्च 1983 को हुआ था। चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्यपाल जैन के रिश्ते में नवनियुक्त डीसी ललित जैन भतीजे है।
आईएएस बनने से पहले ललित जैन ने 2003-2005 के बीच देश के नामी अंग्रेजी दैनिक में पत्रकारिता भी की। पिता भी अंग्रेजी दैनिक द ट्रिब्यून से जुड़े रहे।
क्या होंगी चुनौतियां ?
नाहन की ट्रैफिक समस्या बड़ी चुनौती होगी। सडको के किनारे वाहनों की पार्किंग बढ़ती जा रही है। लंबे समय से कोई भी डीसी नो पार्किंग जोन की अधिसूचना नहीं जारी कर पाया है। सिरमौर उत्सव अतीत हो गया है। जिला में आज भी कई दर्जन गांव ऐसे है, जो सड़क सुविधा से वंचित है। पर्यटन के लिहाज से जिला पिछड़ा रहा गया। पावंटा साहिब को धार्मिक नगरी का दर्जा नहीं मिल पाया। भगवान परशुराम की जन्म स्थान में विकास की काफी संभावना है। जिला की सडको में हादसों का आंकड़ा छोटा नहीं है, क्रैश बैरियर को लेकर हमेशा ही लापरवाही बरती गई।