शिमला(एमबीएम न्यूज़ ): हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस के हैवीवेट नेताओं के सियासी भविष्य को तय करेंगे। एग्जिट पोल के बाद दिग्गजों की घड़कनें बढ़ गई हैं। पार्टी की हार-जीत से ज्यादा बड़े नेताओं को अपने सियासी कद की चिंता है। एग्जिट पोल के परिणामों से भाजपा नेताओं की जहां बांछे खिली हुई हैं, वहीं कांग्रेस में निराशा देखी जा रही है। नतीजों से मिलने वाले रूझान के बाद दोनों दलों के हैवीवेट आने वाली सरकार में अपने समीकरणों को देख रहे हैं।
भाजपा के जीतने की सूरत में दो बार के सीएम प्रेम कुमार धूमल का सियासी कद और बढ़ जाएगा। भाजपा को सत्ता में लाने का दारोमदार पार्टी हाईकमान ने धूमल पर ही छोड़ा है। राज्य में धूमल की मास लीडर के रूप में पहचाने के चलते उन्हें मतदान के 9 दिन पहले सीएम का चेहरा घोषित किया गया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, रविंद्र रवि, राजीव बिंदल, ठाकुर गुलाब सिंह, महेंद्र सिंह, सुरेश भारद्वाज, जयराम ठाकुर सरीखे दिग्गजों को भी अपने वजूद की चिंता है।
उधर, कांग्रेस के लिए यह चुनाव तय करेंगे कि वीरभद्र सिंह की पार्टी में अब क्या भूमिका रहेगी। कांग्रेस के जीतने पर उनका मुख्यमंत्री बनना तय है, लेकिन हारने पर जिम्मेदारी लेने का दबाव भी उन पर रहेगा। चुनाव में कांग्रेस का चेहरा और रणनीतिकार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ही रहे। ऐसे में हार-जीत की स्थिति में सियासी नफा- नुक्सान उन्हीं को झेलना पड़ सकता है। अगर कांग्रेस बहुमत हासिल करती है, तो वीरभद्र सिंह की बतौर सीएम सातवीं पारी शुरू होगी।
उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायक पार्टी का अगला चेहरा होंगे। मगर हारने की स्थिति में पार्टी की बागडोर किसे सौंपी जानी है, इस पर भी मंथन पार्टी करेगी। वीरभद्र सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू समेत वरिष्ठ नेताओं कौल सिंह, जीएस बाली, मुकेश अग्निहोत्री, सुधीर शर्मा का भविष्य भी इसी चुनाव से तय होना है।
अपनी सियासी पारी को शुरू करने जा रहे कांग्रेस प्रत्याशियों व राजनेताओं के पुत्रों विक्रमादित्य, चंपा ठाकुर, आशीष बुटेल और आदित्य विक्रम सेन की साख भी चुनाव नतीजों पर टिकी है। इनके हार-जीत के तराजू में वीरभद्र सिंह, कौल सिंह और बृज बिहारी लाल बुटेल का कद भी तोला जाएगा।