नाहन (एमबीएम न्यूज): हर कोई बखूबी जानता है, टूथपिक का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। मगर आप यह जानकर दंग रह जाएंगे, शहर का 26 वर्षीय बेटा अभिमन्यु अत्री इसी के बूते भगवान शिव व गिटारिस्ट की आलंकारिक कृतियों को उकेरने का माहिर है। खुद जब अभिमन्यु ने टूथपिक कलाकारों को वैब पर तलाशा तो पाया, विश्व भर में चुनिंदा कलाकार ही हैं, लेकिन अभिमन्यु को कोई भी ऐसा कलाकार नहीं मिला, जो टूथपिक के जरिए आलंकारिक कृतियां बना सके।
शहर के ऐतिहासिक स्तम्भ लिटन मैमोरियल को भी टूथपिक के इस्तेमाल से आलंकारिक कृति में पेश करने के लिए अभिमन्यु दिन-रात मेहनत कर रहा है। गुन्नुघाट के रहने वाले अभिमन्यु अत्री संभावना जताते हैं कि देश भर में तो वह एकमात्र कलाकार हो सकते हैं, जिसने टूथपिक से ऐसी दुर्लभ कलाकृतियों को तैयार किया है। अभिमन्यु ने कई दिनों की मेहनत से भगवान शिव की प्रतिमा के अलावा गिटारिस्ट की कलाकृति तैयार की है। इतना सूक्ष्म कार्य बड़ी चुनौती बनता रहा है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से विशेष बातचीत में अभिमन्यु अत्री ने बताया कि छठी कक्षा से इस कला के प्रति आकर्षित रहे। लेकिन अब जाकर कुछ बना पाने में सफल हुए हैं। अभिमन्यु बताते हैं कि एक कलाकृति को बनाने में पांच से सात दिन का वक्त लग जाता है। गुन्नुघाट निवासी राजकुमार व निर्मल अत्री के बेटे ने आर्मी स्कूल से जमा दो की शिक्षा हासिल करने के बाद नाहन पीजी कॉलेज से बी कॉम की पढ़ाई पूरी की है। उनका यह भी कहना है कि संग्रह पूरा होने के बाद प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को इस कला से परिचित करवाना भी लक्ष्य है। उनका कहना है कि आमदनी का भी अच्छा जरिया पैदा हो सकता है।
क्या है आलंकारिक कला..
जानकारों के मुताबिक सूक्ष्म तरीके से किसी वस्तु या आकृति को बनाना ही आलंकारिक कला है। टूथपिक चंद सैंटीमीटर की होती है। इसकी कटिंग व पेस्टिंग आसान नहीं होती। पाठक अभिमन्यु की कला से जुड़े वीडियो को देखकर आसानी से इस आलंकारिक कला का अंदाजा लगा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर भवन के निर्माण को अगर टूथपिक से किया जाता है तो उसे आलंकारिक कला नहीं कहा जा सकता। विशेष तौर पर शरीर की आकृति को उकेरना आलंकारिक कला हो सकती है।