पांवटा साहिब (शैलेंद्र कालरा) :
सुनने में यह बात चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन हकीकत है कि पांवटा साहिब में यमुनानगर मार्ग पर एडवांस जैविक खेती के मकसद से सुबह-शाम सूर्य की किरणों को हवन कुंड में कैद कर लिया जाता है। इसके बाद हवन कुंड की राख को खेतों में डाला जाता है। बाकायदा सूर्योदय व सूर्यास्त का आधुनिक तकनीक (जीपीएस) से टेबल तैयार किया गया है। इसके समयानुसार ही खेतों के बीचोंबीच बने शैड में सुबह-शाम हवन नियमित तौर पर होता है। इस तकनीक को ”अग्निहोत्रा“ कहा जाता है। इस दौरान वेदों के विशेष मंत्रो का उच्चारण किया जाता है। मजेदार बात यह भी है कि फार्म में पशुओं को परोसे जाना वाला आहार भी जैविक ही होता है।
खेतों के बीचोंबीच बना हवन शैड
–युवा उद्यमी पीयूषा अब्भी पिता के पदचिन्हों पर बढ़ा रही है “अग्निहोत्रा” का मंत्र
वेदों की “अग्निहोत्रा” तकनीक को युवा उद्यमी पीयूषा अब्भी पांवटा के बाता मंडी में अपने “सिल्वन हाइटस बॉयोडायनमिक एंड वैदिक फार्म” में सफलतापूर्वक कर रही है। युवा उद्यमी के इस सफल प्रयोग को देखने के लिए विदेशी भी इस फार्म में पहुंचते हैं। हाल ही में जापान व जर्मनी से कई लोग खासकर युवतियों ने इस फार्म में पहुंच कर “अग्निहोत्रा” मंत्र की तरफ खासी जिज्ञासा दिखाई।
युवा पीयूषा को यह फार्म अपने पिता व उद्योगपति सुबोध अब्भी से विरासत में मिला है। लिहाजा वह अपने पिता के पदचिन्हों पर ही आगे बढ़ना चाहती है। अहम बात यह है कि पीयूषा ने आधुनिकता को नहीं अपनाया है बल्कि समाज में लीक से हटकर कोई काम करने की कोशिश की है। हाल ही में पीयूषा को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में राज्य महिला समाज कल्याण बोर्ड द्वारा सम्मानित भी किया गया है।
25 एकड़ में फैले इस फार्म के एक हिस्से (10 एकड़) में आम का बगीचा है, जबकि कुछ हिस्से में तुलसी, हल्दी व अदरक को उगाया जाता है। युवा उद्यमी पीयूषा अब्भी कहती हैं कि “अग्निहोत्रा” का असर साफ देखने को मिलता है। इससे खेतों में उगने वाले फल व अन्य उत्पादों की गुणवत्ता अपने आप में ही अलग होती है। युवा उद्यमी के पिता सुबोध अब्भी बताते हैं कि “अग्निहोत्रा” का पहला उपयोग मध्य प्रदेश के इंदोर में हुआ था। लेकिन हिमाचल में इसका उपयोग सबसे पहले उनके फार्म हाऊस में ही किया गया।
”अग्निहोत्रा“ तकनीक से मंत्रोचारण करती दो विदेशी महिलाएं
एमबीएम न्यूज से बातचीत में पीयूषा ने कहा कि सुबह व शाम के वक्त सूर्य की किरणें बेहद उपयोगी होती हैं। इसे हासिल करने के लिए दो वक्त हवन की जरूरत रहती है। हवन शैड को सूर्य की किरणों को आने के लिए सामने, दाईं व बाई तरफ से खुला रखा जाता है। इसके बाद समयानुसार हवनों के मंत्रोचारण शुरू हो जाते हैं।