राजगढ़, 21 जुलाई : वन माफिया पर लगाम कसने के दृष्टिगत करीब 40 वर्ष पहले वन विभाग द्वारा यशवंतनगर में स्थापित बैरियर किया गया था। जोकि वर्तमान में सफेद हाथी बन गया है। इस बैरियर पर बीतेे करीब तीन दशक से अवैध लकड़ी का कोई भी केस नहीं पकड़ा गया है। जबकि यह बैरियर 24 घंटे क्रियाशील है। जिस पर एक डिप्टी रैंजर, एक फोरेस्ट गार्ड के अतिरिक्त चार फोरेस्ट वर्कर तैनात किए गए हैं। जिनका प्रतिमाह करीब अढाई सेे तीन लाख का वेतन का खर्चा सरकार को वहन करना पड़ता है।
बता दें कि 60 के दशक में अपर शिमला व सिरमौर के ऊपरी क्षेत्रों से लकड़ी का बहुत कारोबार होता है। ठेकेदार वनों को काटकर उसके शहतीर बनाकर गिरी नदी में घाल अथवा ट्रकों के माध्यम से हरियाणा की यमुनानगर मार्किट में पहुंचाते थे। उन दिनों वन माफिया भी काफी सक्रिय हुआ करते थे। जिसके चलते वन विभाग द्वारा यशवंत नगर में बैरियर स्थापित किया गया था।
गौर रहे कि इस बैरियर पर चकमा देकर बाघ व चीता की खाल के तस्करों को सोलन पुलिस द्वारा अनेको बार पकड़ा है। परंतु काफी अरसे से इस बेरियर पर अवैध लकड़ी, जानवरों की खाल, जंगली जड़ी बूटियों का अवैध कारोबार इत्यादि का कोई मामला नहीं पकड़ा गया है।
बीते कुछ माह पहले यशवंतनगर बाजार में पुलिस द्वारा बैरियर से करीब 100 मीटर की दूरी पर अवैध रूप से ले जाए जा रहे बिरोजा के 75 टीन पकड़े थे। वन माफिया बैरियर को आसानी से क्रॉस कर गए थे। परंतु गुप्त सूचना के आधार पर बाजार में दबोच दिए गए थे।
सवाल उठता है कि न जाने कितने वन माफिया बैरियर पर चकमा देकर निकल जाते होंगे। चूंकि यह बैरियर हल्के वाहनों के लिए हर समय खुला रहता है। इस बैरियर पर कोई जांच पड़ताल नहीं की जाती है। सबसे ज्यादा तस्करी हल्के वाहनों पर होती है। जहां एक ओर सरकार द्वारा माली हालत को देखते हुए अनेक खर्चों में कटौती की गई है। वहीं इस बैरियर पर तैनात कर्मचारियों के वेतन का बोझ सरकार को वहन करना पड़ रहा है, जबकि बैरियर की आउटपुट जीरो है।
बैरियर पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि वनों के कटान पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के उपंरात पिछले काफी वर्षों से लकड़ी की अवैध तस्करी पर काफी अंकुश लगा है। जिस कारण अवैध लकड़ी का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है।
डीएफओ राजगढ़ टी. वैकटेशवर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लकड़ी के अवैध कारोबार को रोकने के लिए बैरियर का होना जरूरी है। बैरियर के नाम पर वन माफिया में भय भी रहता है। इसके अतिरिक्त इस बैरियर के आधुनिकीकरण करने की भी योजना है ताकि वन माफिया पर अंकुश लग सके ।