मंडी, 13 मई : हिमाचली बोलियों को पहचान दिलाने वाली टांकरी लिपि को अब फिर से पुनर्जीवन देने की दिशा में प्रयास होना शुरू हो गए हैं। भारतीय सांस्कृतिक निधि मंडी चैप्टर ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। उनकी तरफ से मंडी में टांकरी लिपि पर हेरिटेज टॉक का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के वरिष्ठ नागरिकों, इतिहासकारों और साहित्यकारों ने भाग लिया।
टांकरी लिपि पर शोध करने वाले सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी जगदीश कपूर को इस हेरिटेज टॉक में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि पहले पहाड़ी बोलियों की टांकरी लिपि हुआ करती थी, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत आने के बाद धीरे-धीरे ये लिपी विलुप्त होती गई। आज इतिहास के बहुत से पन्नों पर टांकरी लिपि में लिखे हुए लेख मिलते हैं। आज इस लिपि को फिर से जीवित करने की जरूरत है, ताकि भावी पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत करवाया जा सके।
भारतीय सांस्कृतिक निधि चैप्टर के संयोजक नरेश मल्होत्रा और सह संयोजक अनिल शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। संरक्षण की दृष्टि से टांकरी लिपि को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस दिशा में पूरा मास्टर प्लान बनाकर इसके संरक्षण की कड़ी को आगे बढ़ाया जाएगा।