रोनहाट, 05 मार्च : 25 दिनों में भी 200 किलोमीटर का सफ़र तय नहीं कर पाई मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना की गई एम्बुलेंस। शिमला जिला से एक ऐसा ही हैरत अंगेज़ मामला सामने आया है, जिसे देखने के बाद ख़ुद सीएम साहब भी सरकारी तंत्र पर भरोसा करने से इनकार कर सकते है।
शिमला ज़िला की चौपाल विधानसभा क्षेत्र के कुपवी में 15 पंचायत के हज़ारों ग्रामीण बीते 2 वर्षों से एम्बुलेंस सेवाओं से वंचित है। कई मर्तबा गुहार लगाने के बाद भी जब सरकार और उनके जन-प्रतिनिधियों से स्थानीय लोगों को मदद नहीं मिली तो क्षेत्र के ग्रामीणों ने पंजाब नेशनल बैंक से सीएसआर के तहत सहायता मांगी।
बैंक प्रबंधन ने भी लोगों की मांग को जायज ठहराते हुए उनकी मदद को अपने हाथ आगे बढ़ाए और एक नई एम्बुलेंस ख़रीद कर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सौंप दी गई। 8 फरवरी को सीएम जयराम ठाकुर द्वारा अपने सरकारी आवास से हरी झंडी दिखाकर एम्बुलेंस को कुपवी के लिए रवाना करवाया गया। मगर 25 दिन बीत जाने के बाद भी ये एम्बुलेंस राजधानी शिमला से कुपवी तक का महज 200 किलोमीटर का सफ़र तय नहीं कर पाई है और शिमला की एक पार्किंग में धूल फांक रही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री रजनीश किमटा ने क़रीब एक माह बाद भी एम्बुलेंस के शिमला से कुपवी नहीं पहुँचने पर हैरानी जताई है। उन्होंने इशारों-इशारों में चौपाल के भाजपा विधायक पर मुख्यमंत्री को गुमराह करने के आरोप तक लगा डाले।
किमटा ने बताया कि चेहता परगना की 15 ग्राम पंचायतों के हज़ारों ग्रामीण बीते 2 वर्षों से एक एम्बुलेंस के लिए तरस रहे है और इससे भी बड़े दुःख की ये बात है की सरकार के मुखिया द्वारा एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाने के बाद भी वो शिमला नगर निगम की पार्किंग में बीते एक महीने से धूल फांक रही है। रजनीश किमटा ने चौपाल विधानसभा क्षेत्र में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का हवाला देते हुए बताया की इलाज तो दूर की बात है पर यहां बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम भी सरकार ठीक से नहीं कर पा रही है।
आपको ये जानकर भी ताज्जुब होगा की वर्ष 2017 में शुरू हुआ कुपवी अस्पताल भवन के निर्माण का काम क़रीब 5 साल बीत जाने के बाद भी ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा पूरा नहीं करवाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री सहित चौपाल के वर्तमान और पूर्व विधायक के नाम वाली शिलान्यास पट्टिका को भी शौचालय में फेंक दिया गया है।
उम्मीद है कि चौपाल विधानसभा क्षेत्र से सामने आई इन तस्वीरों को देखने के बाद सरकार भी अपनी कुंभकर्णी नींद से जागेगी और वातानुकूलित दफ्तरों में बैठे-बैठे कुर्सियां तोड़ने वाले सरकारी बाबुओं से काम का हिसाब मांगेगी ताकि कुपवी सहित अन्य दुर्गम क्षेत्रों के हज़ारों ग्रामीणों को भी घर-द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा सके