शिमला/ नाहन, 24 सितंबर : सिरमौर के कोलर के रहने वाले मेधावी उमेश लबाना संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा पास करने वाले हिमाचल के पहले दृष्टिबाधित बन गए हैं। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 397वा रैंक प्राप्त कर इतिहास रचा है। वर्तमान उमेश दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) से राजनीति विज्ञान में पीएचडी (PhD) कर रहे हैं। अपनी कैटेगरी में उमेश ने टॉप किया है।
उमेश लबाना ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान (Political Science) में एमए की है। सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले उमेश जब शिमला से एमए कर रहे थे तो वह पूरी तरह दृष्टिबाधित होने के बावजूद सारी पढ़ाई लैपटॉप (Laptop) के जरिए करते थे। यही नहीं, पहले सेमेस्टर में उन्होंने यूजीसी नेट (UGC NET) उत्तीर्ण कर लिया था और दूसरे सेमेस्टर में जेआरएफ (JRF) की कठिन परीक्षा पास कर इतिहास बनाया था।
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पांवटा साहिब के कोलर के रहने वाले उमेश कुमार के पिता दलजीत सिंह किसान हैं और माता कमलेश कुमारी सेवानिवृत्त शिक्षिका (retired teacher) हैं। शाम को उमेश के यूपीएससी परीक्षा पास करने की खबर सिरमौर ही नहीं, पूरे प्रदेश में जंगल की आग की तरह फैल गई। लोगों ने उन्हें और उनके परिवार को फोन कर बधाई देने का सिलसिला शुरू कर दिया।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उमेश अत्यंत मेधावी विद्यार्थी रहा है। एमए की क्लास में प्रोफेसरों का लेक्चर सुनते हुए वह लैपटॉप पर ही नोट्स बना लेता था। गौरतलब है कि दृष्टिबाधित व्यक्ति टॉकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर और सोशल मीडिया का पूरा इस्तेमाल करते हैं।
एमए करने के दौरान उमेश राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर (assistant professor) के लिए पात्रता हासिल कर चुका था। लेकिन उसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में जाने की बजाए सिविल सर्विसेज (Civil services) था। जेएनयू में पढ़ाई करने के साथ-साथ वहां सिविल सर्विसेज की तैयारी भी करता रहा। पिछले साल भी उसने यूपीएससी की परीक्षा पहले प्रयास में पास कर ली थी और इंटरव्यू (Interview) में भी शामिल हुआ था। लेकिन बहुत कम अंतर से वहां चयनित होने से चूक गया था।
प्रो. अजय श्रीवास्तव ने उमेश को उसकी बड़ी कामयाबी के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश के दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग युवाओं का हौंसला बढ़ेगा और वे समाज में अपना स्थान बनाने के लिए प्रेरित होंगे।