शिमला, 19 अगस्त : एचआरटीसी के पीसमील कर्मचारियों का आंदोलन बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। तारादेवी सहित प्रदेश की 28 वर्कशॉप में पीसमील ने कोई काम नहीं किया और इन वर्क शालाओं में दिन भर काम दो से तीन नियमित कर्मचारियों के हवाले रहा। पीसमील कर्मचारियों के आंदोलन पर रहने के कारण निगम की मुश्किलें भी बढ़ने लगी हैं।
बुधवार को लोकल यूनिट व आईएसबीटी में रूटों पर गई बसें ग्रीसिंग व अन्य मुरम्मत कार्य के लिए वर्कशापों में पहुंची लेकिन इनमें कर्मचारियों की कमी के कारण बसों की मरम्मत सही समय पर नहीं हो पाई। बस चालकों को बसों की मरम्मत के लिए इंतजार करना पड़ रहा। वहीं कई बसें जिनकी ग्रीसिंग का कार्य होना था वह भी नहीं हुआ और बिना ग्रीसिंग के बसें वापिस रूटों पर चली गई। इसके अतिरिक्त जिन बसों में बड़ी तकनीकी खराबी थी वह बसें भी समय पर ठीक नहीं हो पाई।
इसके अतिरिक्त कुछ चालकों को टायरों से संबधित काम भी बाहर निजी टायर पंचर की दुकानों में करवाने पड़े। इस बीच हड़ताल के दूसरे दिन बसों की मरम्मत कार्य में असर पड़ा है। बसें मरम्मत होकर रूटों पर निकल जाती थी लेकिन बुधवार को कुछ बसें रूटों पर नहीं जा सकी। ऐसे में आगामी दिनों में परेशानी बड़ सकती है।
दरअसल वर्कशापों में 50 प्रतिशत पीसमील कर्मचारी हैं और यह कर्मचारी कर्मशालाओं की रीड़ की हड्डी भी हैं। इनके हड़ताल पर चले जाने से रेगुलर स्टाफ पर काम का बोझ बढ़ गया है और इससे आगामी समय में परेशानियां और बढ़ सकती है। पीसमील यदि काम पर नहीं लौटेंगे तो रूट भी प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि खराब गाडियां वर्कशॉप में खड़ी हो जाएगी।