मंडी (विरेंद्र भारद्वाज) : 650 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए मेडिकल कालेज नेरचौक को राज्य सरकार चलाना तो चाहती है, लेकिन इसके लिए केंद्र को जो पैसा सरकार देने जा रही है उसपर सरकार ब्याज नहीं देना चाहती। इसके साथ ही सरकार इस कॉलेज को अगस्त 2016 से शुरू करने पर भी विचार कर रही है।
मार्च 2014 को उदघाटन के बाद अब तक अपनी शुरूआत की राह देख रहे ईएसआईसी के नेरचौक स्थित मेडिकल कॉलेज को लेकर राज्य और केंद्र सरकारों के बीच तनातनी चली हुई है। बता दें कि नेरचौक स्थित मेडिकल कॉलेज को केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय की तरफ से बनाया गया है लेकिन श्रम मंत्रालय ने इसे चलाने से मना करते हुए अपने हाथ-पीछे खींच लिए हैं। अब राज्य सरकार इस कॉलेज का संचालन करने जा रही है। केंद्र सरकार राज्य सरकार को 99 वर्षों की लीज पर मेडिकल कॉलेज देना चाहती है, लेकिन राज्य सरकार इसपर पूरा मालिकाना हक चाह रही है।
हालांकि मेडिकल कालेज पर केंद्र सरकार ने अभी तक 650 करोड़ से भी अधिक की राशि खर्च कर ली है, जबकि राज्य सरकार इसके लिए 285 करोड़ रुपए दस वर्षों में चुकाने की हामी भर चुकी है। केंद्र सरकार ने दस वर्षों के दौरान चुकाए जाने वाली राशि पर दस प्रतिशत ब्याज मांग लिया है लेकिन राज्य सरकार ब्याज देने पर अड़ गई है। केंद्र सरकार चाहती है कि जब तक 285 करोड़ की राशि पूरी नहीं होती तब तक इस रकम पर दस प्रतिशत साधारण ब्याज राज्य केंद्र को दे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने ब्याज देने से इंकार करते हुए इस मुद्दे पर जल्द ही केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने का निर्णय लिया है।
वहीं अगर मेडिकल कालेज के संचालन की बात करें तो राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द अपने अधीन लेकर यहां पर कक्षाएं शुरू करने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर का कहना है कि अगर सारी औपचारिकाताएं जल्द पूरी हो जाती हैं तो अगस्त 2016 से मेडिकल कालेज में कक्षाएं शुरू कर दी जायेंगी। इनका कहना है कि इस मामले में इनकी तरफ से कोई देरी नहीं की जाएगी।
बता दें कि मेडिकल कालेज का संचालन इस वक्त प्रदेश के लिये इज्जत का सवाल बन चुका है। क्योंकि इसके उदघाटन को करीब दो वर्ष होने जा रहे हैं और इसका संचालन अभी तक नहीं हो पाया है। इससे जहां लोगों को इसके शुरू होने का इंतजार है वहीं प्रदेश सरकार के लिए भी यह इज्जत का सवाल बना हुआ है, क्योंकि राज्य सरकार इसके संचालन की हामी भर चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में मेडिकल कालेज का ऊंट किस करवट बैठता है।