नाहन, 16 दिसंबर : अक्सर ही मामूली सी नेक सेवा करने के बाद जुड़ी तस्वीरें और वीडियो को सोशल मीडिया( Social Media) में अपलोड करने में देरी नहीं की जाती। लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जो खामोशी से ही नर सेवा में कदम आगे बढ़ाते रहते हैं। ऐसी ही एक मिसाल शहर में निजी डेंटल क्लीनिक (Private Dental Clinic) चला रहे डॉ. अमन धीमान बने हैं। अब जाकर इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन(Lock down) के बाद दो हफ्ते तक तो क्लीनिक पूरी तरह से बंद रहा। इस दौरान दांत (Teeth) की असहनीय दर्द (Intolerable Pain) को लेकर कई लोग अस्पताल पहुंच रहे थे, मगर उपचार (Treatment) न मिलने की वजह से वह निजी क्लीनिक की तलाश में लग जाते थे।
जैसे ही सरकार ने लॉकडाउन में इमरजेंसी सेवाओं (Emergency Services) को जारी रखने का फैसला लिया तो डॉ. अमन ने भी क्लीनिक (Clinic)) में सेवाओं (Services)को शुरू (Start) कर दिया। ऐसे में डॉ. अमन धीमान उनके लिए एक मसीहा से कम साबित नहीं हुए। एक दिन में ही 40 से 50 मरीजों को देखने में लगे रहे। शिक्षक माता-पिता के बेटे डॉक्टर अमन ने डेंटल एजुकेशन(Dental Education) के क्षेत्र में एमडी की शिक्षा हासिल की है।
बता दें कि एक मरीज (Patient) के चैकअप(Checkup) में 20 से 30 मिनट लगते है। कई बार ट्रीटमेंट(Treatment) लंबा भी चलता है। चूंकि निजी क्षेत्र में डेंटल ट्रीटमेंट महंगा माना जाता है, यही कारण होता है कि सामान्य या गरीब लोग (Poor People) अस्पताल का रुख करते हैं। लेकिन डॉ अमन ने किसी को भी खर्च का अहसास नहीं होने दिया। डॉ अमन धीमान ने ना केवल अपनी फीस(Fees) को छोड़ा बल्कि गरीबों से मामूली सा शुल्क लिया ताकि मास्क के खर्च की भरपाई हो सके।
लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल यह भी उठ रहा होगा कि जब डॉक्टर धीमान की इस तरह से जनसेवा का खुलासा कई महीने तक नहीं हुआ तो अब अचानक ही कैसे मीडिया तक इसकी जानकारी पहुंची।
दरअसल हुआ यूं कि डॉक्टर धीमान से ट्रीटमेंट (Treatment) लेने वाले एक मरीज (Patient) ने ही एमबीएम न्यूज नेटवर्क को इस बात की जानकारी दी। जब इसकी पड़ताल(Verification) की गई तो पाया गया कि वास्तव में डॉक्टर धीमान आज भी रोजाना दो से तीन ऐसे मरीजों को ट्रीटमेंट दे रहे हैं, जो फीस देने में समर्थ नहीं होते। बता दें कि कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के ठीक सामने पोस्ट ऑफिस(Post office) के साथ डॉक्टर धीमान अपना क्लीनिक चला रहे हैं।
उधर जब इस बारे डॉक्टर अमन से बात की गई, तो उन्होंने बेहद ही सादगी पूर्ण तरीके से कहा कि वह समाज के प्रति दायित्व निभा रहे हैं। इसको लेकर कोई पब्लिसिटी नहीं चाहते। अलबत्ता इतना जरूर माना कि वैश्विक महामारी (Pandemic) में लॉकडाउन(Lock down) के दौरान जो सिलसिला शुरू किया था जो अब भी जारी है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले ग्लब्स (Gloves) का एक बॉक्स 4000 में आता था जो अब 12000 में मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सामान्य ओपीडी से कहीं अधिक रोगियों की जांच की। दांत का एक ऐसा दर्द होता है जिसे बर्दाश्त करना बेहद ही मुश्किल होता है। ऐसे में वह उन लोगों का दर्द समझ रहे थे जो लॉकडाउन के दौरान ट्रीटमेंट के लिए भटक रहे थे।
कुल मिलाकर एक युवा डेंटल सर्जन(Young dental Surgeon) वैश्विक महामारी के एक अनसंग कोरोना वॉरियर(Unsung Corona Warrior) है। जिनकी नर सेवा के बारे में किसी को पता ही नहीं था। दीगर है कि वैश्विक महामारी के दौरान मामूली राशन बांटने पर भी जन सेवकों द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाती थी। राजनीतिक दलों से जुड़े संगठन आज भी ऐसा ही कर रहे हैं। मगर डॉक्टर अमन धीमान ने ऐसा कुछ नहीं किया।