लीलाधर चौहान/जंजहैली
प्रदेश एक तरफ हैली टैक्सी तो दूसरी तरफ ट्रेन की स्पीड बढ़ाने की हसरत पाले हुए है। मगर सिराज विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसी जगह भी है, जहां मुर्दे भी आंसू बहाते हैं। दरअसल शिकावरी पंचायत में आज तक श्मशानघाट नहीं है, जहां शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके। आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि शवों का अंतिम संस्कार झाडि़यों से ढके नाले में किया जाता है। इस जगह पर चंद लोग ही खडे़ हो सकते हैं।
22 दिसंबर को शिकावरी गांव में बुजुर्ग जगत राम का निधन हो गया। शव को लेकर अंतिम संस्कार वाला जगह पहुंचे तो नाले में झाडि़यों के अलावा कांटे व पत्थर सटे पडे़ थे। इस कारण परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया। हरेक गांव में श्मशानघाट की मांग की गई। युवक मंडल प्रधान गुनास लीला राम इत्यादि ने कहा कि 2007 से श्मशानघाट के निर्माण को लेकर मांग की जा रही है। प्रस्ताव भी पारित किया गया। बावजूद इसके श्मशानघाट नहीं बन रहा।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायतघर के समीप लगते नाले में नामात्र का श्मशानघाट औपचारिकता के लिए ही बना हुआ है। उधर इस बारे पूछे जाने पर ग्राम पंचायत प्रधान भीखम राम का कहना है कि 2019 अप्रैल के बाद ही श्मशानघाट का कार्य शुरू किया जाएगा। इस बारे प्रस्ताव पारित किया जा चुका है, लेकिन बजट को लेकर मंजूरी नहीं मिली।
सनद रहे कि सिराज विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का गृह हलका है। इस स्थिति को देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि सीएम के घर को पर्यटन या एयरपोर्ट नहीं चाहिए, बल्कि श्मशानघाट जैसी मूलभूत सुविधाएं चाहिए।
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