पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज): 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी किरनेश जंग चौधरी के सामने एंटी इनकंबसी के साथ-साथ पार्टी के संगठन को साथ लेने की चुनौती सामने आ खड़ी हुई है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय शूटर समरेश जंग के परिवार द्वारा लगाए गए अवैध कटान के आरोप भी हैं। गौरतलब है कि रिश्ते में शूटर समरेश जंग के किरनेश जंग चचेरे भाई हैं। लेकिन परिवारों में आपसी समन्वय लंबे अरसे से नहीं है।
2003 व 2007 में बीजेपी प्रत्याशी सुखराम चौधरी से हार मिलने के बाद किरनेश जंग चौधरी ने कांग्रेस से बगावत कर चुनाव में सफलता हासिल की थी। इस हलके में कांग्रेस पिछले 4-5 चुनाव से गुटबाजी में बंटी रही है। खासकर सरदार रतन सिंह के निधन के बाद। इस बार भी कांग्रेस के टिकट के चाहने वालों की लंबी सूची थी। पार्टी के संगठन को किरनेश जंग चौधरी कभी भी पसंद नहीं आए।
उधर भाजपा के खेमे की बात की जाए तो 2011 श्री रेणुका जी उप चुनाव के आरोप सुखराम चौधरी का पीछा कर रहे हैं। उस दौरान सुखराम चौधरी भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव के पद पर तैनात थे। आरोप लगा था कि सुखराम चौधरी की मौजूदगी में श्री रेणुका विकास बोर्ड के विश्रामगृह के शौचालय को शराब का गोदाम बनाया था। साथ ही खुद भी वहीं ठहरे हुए थे। आरोप यह भी लगा था कि उन्होंने बचाव के मकसद से पवित्र परशुराम ताल में शराब की पेटियों को फेंका था। हाल ही में इन्हीं आरोपों को लेकर सोशल मीडिया में भी मैसेज वायरल हुआ था।
यह अलग बात है कि तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव पर इस मामले को लेकर कोई मामला नहीं बना था। भाजपा प्रत्याशी के सामने अपनी ही पार्टी के स्थानीय नेताओं के समर्थन की चुनौती भी है। हालांकि पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार रहे मदन मोहन शर्मा ने चौधरी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। अब चर्चा यह है कि गले तो मिल गए, लेकिन दिल मिले हैं या नहीं। बहरहाल मुकाबला रोचक है। लोकतंत्र में मतदाता सर्वोपरि होते हैं। लिहाजा यह मतदाताओं को ही तय करना है किस पर झूठे आरोप है, किस पर सच।