एमबीएम न्यूज/शिमला
2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद विधायकों व मंत्रियों की रिक्तियों की भी संभावना पैदा हो गई है। धर्मशाला के विधायक किशन कपूर इस समय काबिना मंत्री भी हैं। अगर चुनाव जीतते हैं तो विधायक के साथ-साथ मंत्री का पद खाली हो जाएगा। चर्चा तो यह भी हो रही है कि मंत्री जी ने पहले ही पार्टी के सामने शर्त रख दी थी कि चुनाव जीतने की सूरत में पार्टी उनके बेटे को टिकट देगी। उधर भाजपा में ही पच्छाद के विधायक सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा है।
कश्यप के जीतने की सूरत में भी विधानसभा का उप चुनाव तय होगा। उधर मंडी में चल रही पंडित सुखराम की सियासत पर यदि अनिल शर्मा मंत्रिमंडल छोड़ते हैं तो उस सूरत में भी मंत्री का एक पद खाली हो जाएगा। यानि दो विधानसभाओं में उप चुनावों के साथ-साथ मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए लॉबिंग शुरू हो जाएगी। उधर कांग्रेस में शिमला संसदीय सीट से कर्नल धनीराम शांडिल का टिकट तय माना जा रहा है। शांडिल मैदान में उतर कर अगर जीतते हैं तो उस स्थिति में पच्छाद में नहीं, बल्कि सोलन में उप चुनाव होगा।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस में सुरेश चंदेल, राम लाल ठाकुर के अलावा मुकेश अग्निहोत्री दौड़ में हैं। रामलाल ठाकुर व मुकेश अग्निहोत्री को अगर टिकट मिलता है और टिकट मिलने वाला जीत जाता है तो उस सूरत में नयना देवी या हरोली में विधानसभा का उप चुनाव होगा। कांगड़ा संसदीय सीट पर पवन काजल व सुधीर शर्मा को फ्रंट रनर माना जा रहा है। कांग्रेस पवन काजल को प्रत्याशी बनाती है तो उनके जीतने की स्थिति में धर्मशाला सीट की बजाय कांगड़ा में विधानसभा उप चुनाव होगा। समीकरण ऐसे बन रहे हैंं कि इस साल के अंत में विधानसभा की दो सीटों पर उप चुनाव होंगे।
चुनावी नतीजे 23 मई को आने है,लिहाजा इस दिन तय हो जायेगा कि किन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे,कौन मंत्रिमंडल छोड़ेगे। फ़िलहाल चुनाव में तो किशन कपूर ही उतरे है। कुल मिलाकर सवाल इस बात पर उठता है कि दोनों ही राजनीतिक दलों के पास सांसद बनाने के लिए ऐसे चेहरे नहीं हैं जो विधायक निर्वाचित न हुए हों। राजनीतिक दलों की यह मजबूरी भी परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है।