एमबीएम न्यूज़/नाहन
खबर चौंकाने वाली है, एक दिसंबर 2017 को ही निजी स्कूल बस के हादसे के काल में समा जाने की आशंका फेसबुक पोस्ट पर जाहिर की गई थी। काश! स्कूल प्रबंधन सहित ट्रांसपोर्ट महकमा व प्रशासन इस पोस्ट पर उचित कदम उठा लेता तो आज 7 मासूमों को अपने जीवन से हाथ न धोना पड़ता।
एक दिसंबर 2017 को क्षेत्र के रहने वाले विजय वशिष्ठ ने एक पोस्ट अपलोड की थी, इसके मुताबिक उन्हें बस में सफर करने का मौका मिला। पोस्ट के मुताबिक कड़क ठंड में 27 किलोमीटर दूर तीन से 10 साल के मासूमों को घर पहुंचना था। बताया गया कि टायर पंचर के कारण बस को देरी हुई है। स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की सहूलियत के लिए दूसरी बस का इंतजाम करना मुनासिब नहीं समझा। विजय वशिष्ठ की पोस्ट के मुताबिक सर्द दिनों में जल्द ही अंधेरा हो जाता है। सफर के दौरान बस की हेड लाइट नहीं जल रही थी। मासूम बच्चे लटक-लटक कर सो रहे थे। बस में कोई अटेंडेड भी नहीं था। चालक को हेडलाइट के बगैर ही बस चलानी पड़ रही थी, साथ ही देरी की वजह से अभिभावकों के फ़ोन भी सुनने पड़ रहे थे।
विजय वशिष्ठ ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि किसी ने भी शिकायत करने की आवश्यकता नहीं समझी। खैर होता वही है, जो कुदरत को मंजूर हो, लेकिन अगर इस पोस्ट से सबक ले लिया गया होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता। रविवार शाम विजय ने अपनी एक साल पुरानी पोस्ट के साथ हादसे की तस्वीरो को फिर फेसबुक पर शेयर किया है।
https://youtu.be/20w0l4NATV0
विजय वशिष्ठ ने अब क्या लिखा
मैं अथाह दिल से सहने वालो के प्रति गहरी सम्वेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। प्रभु किसी को ऐसा दिन न दिखाएं ओर जो लोग आज सहने को मजबूर है उन्हें ओर उनके परिजनों को सहने की सामर्थ्य प्रदान करें।
मैं इस समय गहरे मातम पर किसी के घाव नही कुरेदना चाहता परन्तु यह भी सच्चाई है कि कोई भी बात का महत्व आसानी से तभी समझ आता है जब वह घट जाती है। आज से लगभग एक वर्ष पहले (01/12/217) को मेने इसी स्कूल बस के बारे में एक पोस्ट डाली
थी। मैं इस घटना को बच्चों के जिंदगी के साथ होने वाले सम्बन्धित स्कूल के #लोभी_व्यापार का हिस्सा ही कहूँगा। क्योकि यह बस पुरानी व अक्सर खराब होने वाली थी जिसमे पीछे वाली सीटें तो बिलकुल भी बैठने योग्य न थी। इस पर 3-4 साल से लेकर की नन्ही -मुन्नी जाने आजकल की सर्द शामों में भी अक्सर देर सबेर घर पहुंचा करती थी। अभी 3/01/2019 की शाम 4:30 बजे के आसपास भी यह बस खडकोली तक नही पहुंची थी तो आप अनुमान ही लगाएं कि अपने अंतिम स्टेशन तक कब पहुंच पाई होगी। इसलिए मेरे सामने लाचार अभिवावक बार- बार फोन करके पूछ रहे थे तो सामने से प्रतिउत्तर मिला कि बस खराब है जल्दी ही पहुंच जाएंगे। तो मैने बस के विषय मे स्कूल प्रिंसिपल को भी फोन करने को भी कहा।
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क्या बोले खास बातचीत में….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने फेसबुक पोस्ट को लेकर समाजसेवी विजय वशिष्ठ से संपर्क साधा। इस पर उन्होंने खुलासा किया कि एक दिसंबर 2017 को वो खालाक्यार से ददाहू की तरफ का सफर एक निजी बस में कर रहे थे। इस दौरान बस चालक ने कहा कि उन्हें कोटीधिमान की तरफ जाना हैं। इसके बाद 7-8 सवारियों को स्कूल बस में बिठा दिया गया। बच्चों को खालाक्यार छोड़ने के बाद इस बस को रजाना की तरफ जाना था। 15-20 मिनट के सफर में उन्होंने पाया कि बस में छोटे-छोटे बच्चे लंबे सफर पर थे। कईयों को नींद आ रही थी। बस की हालत भी ठीक नहीं लग रही थी। व्यथित मन से इस हालात को देखकर एक वीडियो भी बनाया। साथ ही कुछ तस्वीरें भी फेसबुक पर पोस्ट की। लेकिन सिस्टम नहीं जागा तो अभिभावकों ने भी स्कूल प्रबंधन से कोई शिकायत नहीं की।