एमबीएम न्यूज़/नाहन
चंद रोज पहले मीनू बस हादसे से सबक लेकर डीसी ललित जैन ने ओवरलोडिंग करने वाली बसों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत दिए थे, यहां तक फैसला लिया गया था कि क्षमता से अधिक सवारियां बैठाने वाली बसों के परमिट रद्द किए जाएंगे। इसके बाद एक ओवरलोड बस की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुआ था। मंगलवार को रोनहाट से निजी बस की ओवरलोडिंग की तस्वीरें और वीडियो चर्चा में है। हालांकि संज्ञान में आने के बाद एसपी रोहित मालपानी इससे जुड़ी जानकारी जुटा रहे हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि शहरों के आसपास निजी व परिवहन निगम की बसों के धड़ाधड़ चालान हो गए, लेकिन सिरमौर के रिमोट इलाकों में स्थिति जस की तस है। अहम बात यह है कि बड़े सड़क हादसे दुर्गम क्षेत्रों में ही सामने आ रहे हैं। अब तक क्रैश बैरियर लगाने को लेकर भी सरकार उदासीन बनी हुई है।
करीब 8 साल से सिरमौर की सड़कों को क्रैश बैरियर से लैस करने की मांग होती आई है, लेकिन नतीजा जीरो है। उम्मीद की जा रही थी कि इस पर ठोस कदम उठाए जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गौरतलब है कि उत्तराखंड से टौंस नदी को पार कर आने वाली निजी बस से भी ओवरलोड होती हैं। सीमांत क्षेत्रों में ग्रामीणों के आपस में रिश्तेदारी हैं।
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जान हथेली पर रखकर सफ़र की मजबूरी भी लोगों की है, क्योंकि इक्का-दुक्का बस के होने की वजह से उन्हें भी मजबूरन सफर करने पर लाचार होना पड़ता है। राज्य सरकार अगर गंभीरता से सड़क हादसों को टालना चाहती है तो लाजमी तौर पर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुदृढ़ करना होगा। एसपी का कहना है कि रोनहाट से मिली तस्वीर को लेकर जांच की जा रही है।