पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज): ट्रांसगिरि क्षेत्र की बनौर पंचायत के खतवाड़ गांव के दो दर्जन घरों में दरारें गहरी होती जा रही हैं। हालांकि भू-गर्भ वैज्ञानिक पूरे आंकलन के बाद रिपोर्ट तैयार करेंगे, लेकिन माना जा रहा है कि धरती की धीमी गति से क्रीप मूवमेंट की वजह से ऐसा हो सकता है, क्योंकि शमाह गांव भी इसी तरह की स्थिति से गुजर चुका है। इस गांव के पूरे बाशिंदों को पुनर्स्थापित किया जा चुका है।
रविवार को भू-गर्भ वैज्ञानिक पुनीत गुलेरिया खुद मौके पर पहुंच कर जायजा ले रहे हैं। स्थानीय टीम के अलावा शिमला से इंस्पेक्टर राकेश कुमार भी इस दल में शामिल हैं। गांव के नजदीक ही डूंगा खड्ड बह रहा है। तटीय क्षेत्र में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। धरती के मूव करने की वजह से डेढ़ दर्जन घरों के ढहने की आशंका जताई जा रही है। यह हालात पिछले पांच सालों से जारी हैं।
इस साल बर्फबारी अधिक होने की वजह से हालात नाजुक हो गए हैं। ग्रामीणों को इस बात का भी डर सता रहा है कि इस आपदा की जद में सिंचाई योग्य भूमि भी आ सकती है। अंतिम समाचार तक मौके पर पहुंची टीम करीब आधा दर्जन घरों का जायजा ले चुकी थी। चूंकि खतवाड़ गांव भी माइनिंग क्षेत्र के साथ सटा हुआ है, लिहाजा इसे खनन से भी जोडक़र देखा जा रहा था, लेकिन इस आशंका को टीम खारिज कर रही है।
उधर मौके पर पहुंचे भू-गर्भ वैज्ञानिक पुनीत गुलेरिया ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि इलाके का पूरा जायजा लेने के बाद ही रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे सरकार व प्रशासन को सौंपा जाएगा। उन्होंने माना कि शमाह गांव की तरह इस गांव में भी धरती की क्रीप मूवमेंट ही वजह हो सकती है। दीगर है कि गांववासियों ने अपने घरों से पलायन करना शुरू कर दिया है, क्योंकि असुरक्षित घरों में रहना मुनासिब नहीं है।
क्या होती है क्रीप मूवमेंट..
इस प्रक्रिया में धरती की सबसे ऊपरी सतह नीचे की तरफ मूव करना शुरू कर देती है। लिहाजा धरती के सबसे ऊपरी सतह पर बने ढांचे हिलना शुरू हो जाते हैं। धरती की इस तरह की प्रक्रिया सैंकड़ों या फिर हजारों साल बाद होती है। फिलहाल अब तक धरती की क्रीप मूवमेंट ही खतवाड़ गांव के धंसने की वजह मानी जा रही है।