नाहन, 15 मई : अंबाला-देहरादून वाया कालाअंब फोरलेन का निर्माण पड़ोसी राज्य हरियाणा व उत्तराखंड में अरसे से युद्धस्तर पर चल रहा है, विडंबना ये है कि हिमाचल प्रदेश के नेशनल हाईवे विंग (National Highway Wing) से फोरलेन की एलाइनमेंट ही नहीं बन पा रही है। लिहाजा, अब भी ये संशय है कि हिमाचल की सीमा में ये फोरलेन कहां से गुजरेगा।
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दलील दी जा रही है कि तीन एलाइनमेंट विचाराधीन हैं। बताते हैं कि 3 मई को शिमला में बैठक हुई थी। इसमें इस फोरलेन की भी चर्चा हुई। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के नाहन व पांवटा साहिब उपमंडल में ये फोरलेन करीब 50 से 55 किलोमीटर की दूरी का होगा। मुख्यालय से अंबाला व देहरादून का सफर फर्राटेदार हो जाएगा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने एलाइनमेंट में विलंब को लेकर नेशनल हाईवे विंग के अधिशाषी अभियंता मनोज सहगल से सवाल किया। लेकिन वो संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। अधिशाषी अभियंता ने फोरलेन से जुड़ी मामूली जानकारी होने से भी अनभिज्ञता जाहिर की। मुख्य अभियंता सुरेश कपूर ने कहा कि कंसलटेंट नियुक्त हुआ है। डीपीआर (DPR) बन रही है। मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद ही कार्य शुरू होगा।
उधर, बताया ये भी जा रही है कि निर्माण कार्य को नेशनल हाईवे विंग से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India) द्वारा अधिकृत कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि दो साल पहले केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने फोरलेन के निर्माण के लिए 1093 करोड़ की राशि मंजूर होने की जानकारी टवीट् के माध्यम से दी थी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक फोरलेन के निर्माण में खजूरना से आगे कोई संशय नहीं है, क्योंकि मौजूदा हाईवे का ही विस्तारीकरण हो सकता है। एलाइनमेंट का संशय कालाअंब-खजूरना तक ही बताया जा रहा है। फिलहाल विभाग के सामने तीन विकल्प हैं।
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पहला ये कि मौजूदा हाईवे को ही चौड़ा कर दिया जाए। इसमें मुआवजे की राशि अड़चन हो सकती है। दूसरा विकल्प ये है कि कालाअंब से मारकंडा नदी को पार करने के बाद सुकेती की तरफ से फोरलेन को वापस हाईवे पर सैनवाला के समीप लाया जाए। लेकिन इसके लिए कालाअंब के साथ-साथ सैनवाला-सुकेती मार्ग (Sainwala-Suketi route) को जोड़ने के लिए मारकंडा नदी (Markanda River) पर दो पुलों के निर्माण से अतिरिक्त खर्चा आ सकता है।
इसके अलावा हरियाणा के डेरा गांव से कालाअंब-त्रिलोकपुर मार्ग से होते हुए सीधे ही फोरलेन को मोगीनंद व सैनवाला के बीच पहुंचाया जा सकता है। मोगीनंद के समीप वाया बोगरिया घाट को लेकर भी चर्चा है, लेकिन इस विकल्प की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है, क्योंकि यहां भी निजी जमीनों का मुआवजा काफी रह सकता है।
सवाल ये है कि हिमाचल में कंसल्टेंसी का कार्य दो साल से क्यों अधर में लटका है। उधर, जहां तक उत्तराखंड व हरियाणा का प्रश्न है तो इन राज्यों में युद्धस्तर पर निर्माण हो रहा है। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब की रेलवे जंक्शन अंबाला का सफर 30-35 मिनट का होगा। दीगर है कि ये फोरलेन पांवटा साहिब को भी बाईपास करेगा। यमुना नदी पर पुल का निर्माण भी प्रस्तावित है। एनएच 07 (NH07) का जीरो माइल स्टोन पंजाब के फाजिल्का में है। यानि, ये हाईवे पाकिस्तान की सीमा के करीब से शुरू हो रहा है। लेकिन फोरलेन अंबाला रिंग रोड से शहजादपुर होते हुए कालाअंब तक बन रहा है।
आपको बता दें कि दोसड़का से कुम्हारहट्टी तक इंटरमीडिएट सड़क को नेशनल हाईवे का दर्जा मिल चुका है, लेकिन इस पर भी कुछ खास कार्य नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि अंबाला के रिंग रोड से कालाअंब की दूरी 33 किलोमीटर होगी।
मुख्य अभियंता सुरेश कपूर का ये भी कहना था कि जल्द ही कंसलटेंसी का कार्य पूरा करने के बाद डीपीआर बन जाएगी। उनका कहना था कि कंसल्टेंसी के बाद ही एलाइनमेंट की सही तस्वीर सामने आएगी।