नाहन, 11 अगस्त : पांवटा साहिब के रहने वाले 29 वर्षीय दिव्यांग विनय कुमार जैन को अपनी विधवा मां के साथ हिमुडा ( Himachal Pradesh Housing and Urban Development Authority) से ऐसी ठोकरें मिली कि वो आज अपनी व्यथा बताते-बताते भी सिहर उठता है। शाराीरिक रूप से 68 प्रतिशत विकलांग के परिवार में पत्नी व डेढ़ साल की बेटी के साथ मां है। आरोप है कि हिमुडा ने उसका व मां अर्चना जैन को मानसिक तौर पर परेशान (Harass) किया हैै। साल 2003 में पिता का देहांत हो गया था। मां अध्यापिका हैं, जबकि पिता स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे।
विनय जैन का कहना है कि उनके दादा ने 1996 में हिमुडा से न्यू शिमला (New Shimla) में ग्राऊंड फ्लोर को टैनेंसी डीड (Tenancy Deed) के तहत खरीदा था। 1999 में नगर निगम शिमला से नक्शे को मंजूर करवाने के बाद फर्स्ट व द्वितीय धरातल का निर्माण किया। जून 2016 में दादा के देहांत के बाद परिवार के सदस्यों को इसका मालिकाना हक (Owner’s right) मिल गया। अगस्त 2017 में संपत्ति को हिमुडा से फ्री होल्ड (Free Hold) करवा कर नवंबर 2019 में फर्स्ट फलोर का मालिकाना हक ले लिया। चूंकि वो दिव्यांग हैं, साथ ही माता जी भी इस प्रापर्टी का रखरखाव करने में असमर्थ महसूस कर रही थी, लिहाजा फर्स्ट फ्लोर बेचने का फैसला लिया। शुरूआती चरण में हिमुडा के स्टाफ ने उन्हें प्रापर्टी को बेचने के लिए किसी भी परमिशन की आवश्यकता न होने की बात कही। इसी बीच शिमला की संपत्ति की रजिस्टरी करवाने के लिए ग्राहक ने लोन अप्लाई कर दिया। बैंक व तहसील कार्यालय द्वारा हिमुडा से परमिशन मांगी गई।
पीडि़त विनय कुमार जैन(Vinay Kumar Jain) का कहना है कि इसके लिए प्रत्येक फ्लोर के मालिक से 5900 का शुल्क मांगा गया। इसके बाद प्रताडऩा शुरू हो गई। फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल पर घुमाई जाने लगी। आपत्तियां लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया। बाद में कहा गया कि एरिया एप्रूव्ड मैप (Approved Map) से 3 मीटर ज्यादा है, लिहाजा नगर निगम से रैगुलर करवाएं। नगर निगम ने स्पष्ट कह दिया कि मामला हिमुडा का है, लिहाजा उन्हें ही अनुमति देनी चाहिए। यह बात हिमुडा के सीनियर आर्किटैक्ट को समझाई गई। इसके बाद हलफनामा लेकर हिमुडा ने आपत्ति को हटा दिया। लेकिन अब दोबारा हिमुडा के कार्यकारी निदेशक द्वारा पहली वाली ऑब्जेक्शन को दोबारा लगा दिया गया है। उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। इससे पहले भी न्यू शिमला सेक्टर-5 में काफी लोगों को परमिशन दी जा चुकी हैै।
विनय का कहना है कि तीन महीने में कोरोना संकट के बावजूद परिवार को 5-6 चक्कर शिमला(Shimla) के लगाने पड़े हैं। करीब 25 हजार रूपए खर्च हो चुके हैं। मां को भी कई बार शिमला आने-जाने के लिए 400 किलोमीटर का अप-डाउन एक दिन में करना पड़ा है। उनका कहना है कि उनकी पत्नी भी 70 फीसदी विकलांग है। बेटी की उम्र डेढ़ साल है। ऐसे में परिवार को पीछे अकेले छोडऩे में भी काफी टेंशन रहती है। विनय का कहना है कि एग्रीमेंट की तारीख भी नजदीक है। उन्होंने कहा कि अगर परिवार को कोई नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेदारी हिमुडा(HIMUDA) की होगी। 20 लाख के नुकसान की भरपाई भी हिमुडा को ही करनी होगी। पीडि़त ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से न्याय की गुहार लगाई है।
उधर हिमुडा के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पक्ष मिलने की स्थिति में प्रकाशित किया जाएगा।