शिमला, 11 जुलाई : हिमाचल हाईकोर्ट(Himachal High Court) ने सिरमौर और सोलन जिलों के कोरोना मरीजों को शिमला के डेडीकेटड कोविड केयर अस्पताल डीडीयू(DDU Covid care centre Shimla) शिफ्ट न करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का कहना है कि जब तक इन जिलों के अस्पतालों की क्षमता उक्त रोगियों को भर्ती करने से बाहर नहीं हो जाती, तब तक कोरोना मरीज डीडीयू नहीं भेजा जाएगा। कोर्ट ने ऐसे रोगियों को उन्हीं स्थानों पर उनके इलाज के लिए प्राथमिकता देने के आदेश भी जारी किए। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश इंद्रजीत सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर दिए। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के 16 जुलाई, 2020 के आदेश को चुनौती दी गयी है।
दरअसल सरकार के इस आदेश के तहत दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल, शिमला को शिमला और किन्नौर के जिलों के अलावा, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए भी कोविड केयर अस्पताल घोषित किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 15 मई को हुई एक बैठक में उपकरणों और कर्मचारियों का समग्र विश्लेषण किया गया था और इसने स्वयं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार अस्पताल की कमियों को पूरी तरह से सुसज्जित करने और स्थिति को संभालने के लिए प्रतिबिंबित किया था। इसके अलावा कर्मचारियों के जोखिम को कम करने के लिए एक रिमोट कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है।
दरअसल सरकार के इस आदेश के तहत दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल, शिमला को शिमला और किन्नौर के जिलों के अलावा, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए भी कोविड केयर अस्पताल घोषित किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 15 मई को हुई एक बैठक में उपकरणों और कर्मचारियों का समग्र विश्लेषण किया गया था और इसने स्वयं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार अस्पताल की कमियों को पूरी तरह से सुसज्जित करने और स्थिति को संभालने के लिए प्रतिबिंबित किया था। इसके अलावा कर्मचारियों के जोखिम को कम करने के लिए एक रिमोट कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है।
12 पल्स ऑक्सीमीटर, 1 डिफाइब्रिलेटर, इलेक्ट्रिक सक्शन मशीनें – आईसीयू के लिए 1 और कोविड वार्ड के लिए 4, ऑक्सीजन मैनिफोल्ड, 10 ऑक्सीजन रेगुलेटर, 1 वीडियो लैरिंजोस्कोप, 12 सिरिंज इन्फ्यूजन पंप, स्क्रब स्टेशन, पोर्टेबल एक्स-रे और अल्फा बेड गद्दे भी आवश्यक हैं। याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है कि ऐसी स्थिति में जब डीडीयू पूरी तरह से सक्षम नहीं है, तो मरीजों को सोलन और सिरमौर से डीडीयू, शिमला में शिफ्ट करना सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक होगा।
इस मामले पर गत 7 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान निदेशक स्वास्थ्य विभाग ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में चौबीस वेंटिलेटर हैं और बुनियादी ढांचे को देखते हुए एक एनेस्थेटिस्ट केवल छह वेंटिलेटर सम्भाल सकता है। हालांकि कोर्ट को यह बताया कि अब वेंटिलेटर को संभालने के लिए दो एनेस्थेटिस्ट काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि भले ही दो एनेस्थेटिस्ट उपलब्ध हैं, 12 वेंटिलेटर के लिए अभी भी एनेस्थेटिस्ट नहीं हैं। लिहाजा जब डीडीयू में बुनियादी ढांचा ही अधूरा है, तो सरकार का सिरमौर और सोलन से मरीजों को शिफ्ट करने का यह आदेश सही नही है। मामले पर आगामी सुनवाई 17 अगस्त को होगी।