प्रभु की मदद
देश के एक शहर में एक आश्रम था। उस आश्रम में भगत जी रहा करते थे। उनका परमात्मा में अटल विश्वास था। भगत जी एक तरह से परमात्मा का ही दूसरा रूप थे। उनके वचनों के साथ-साथ उनके तौर तरीकों में भी भगवान के प्रति गहरी आस्था झलकती थी। उनके प्रेमी आर्शीवाद लेने के लिए दूर-दूर से आते थे।
एक बार क्षेत्र में बहुत तेज बारिश हुई। बारिश रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी। क्षेत्र में बाढ का खतरा मंडराने लगा। तीन से से लगातार हो रही बारिश से बाढ का खतरा मंडराने लगा। गांव के लोग घर छोड़ सुरक्षित स्थानों पर भागने लगे। धुआधांर बारिश के बीच एक प्रेमी भगत जी के पास बैलगाड़ी लेकर आया और उनसे सुरक्षित स्थान पर चलने की विनति की।
भगत जी ने कहा आप आश्रम में रह रहे सेवादारों को ले जाएं। मेरे साथ प्रभु है। वो मुझे कुछ नहीं होने देगा। सभी सेवादार बैलगाड़ी में चले गये। बारिश लगातार जारी रही। नदी-नाले उफान पर आ गये। क्षेत्र आबादी से लगभग खाली हो गया। आश्रम तक भी पानी पहुंच गया लेकिन भगत जी अपनी प्रभु भक्ति में लीन रहे। तभी एक प्रेमी नाव लेकर उनके पास आया और चलने का अनुरोध किया। उसने भगत जी से कहा कि बाढ का पानी आश्रम तक पहुंच चुका है कभी भी आश्रम के भीतर पहुंच सकता है कृप्या सुरक्षित स्थान पर चलिए। भगत जी ने सब भगवान की लीला है कह कर उस अनुरोध को ठुकरा दिया। प्रेमी निराश होकर चला गया। बारिश के कहर से बाढ अपने उफान पर आ गई।
इसे कुदरत का कहर कहें कि कुछ और किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। बारिश के प्रकोप से बारिश का पानी आश्रम के भीतर तक घुस आया। अब भगत जी को मजबूरन आश्रम की छत पर चढऩा पढ़ा। उसी दौरान भगत जी का एक प्रेमी हेलीकाप्टर लेकर आया और बोला भगत जी निकलिए कभी भी आश्रम ढह सकता है। कृप्या सुरक्षित स्थान पर चलिए। भगत जी ने कहा सब परमात्मा की मर्जी है। उसी की लीला है। परमात्मा ही सब ठीक करेगा।
भगत जी का उत्तर सुन कर प्रेमी निराश होकर चला गया। उसके जाने के बाद भगत जी निराश होकर बैठ गये। उन्होंने आंखे बंद कर परमात्मा को याद किया और बोले- प्रभु, जीवन में आपने हमेशा मेरी मदद की। लेकिन जब मुझे आपकी मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी आपने मेरी मदद नहीं की। यह आपकी क्या लीला है। तभी आकाशवाणी हुई और आवाज आई- भगत जी, आपको क्या लगता है आपको इस बाढ़ से निकालने के लिए पहले बैलगाड़ी, फिर नाव और अब हेलीकाप्टर किसने भिजवाया था। मैंने तो पूरी मदद की कोशिश की लेकिन आपने ही उसे ठुकरा दिया।
संदेश
प्रिय मित्रों- मुसीबत के वक्त किसी भी मदद को ठुकराने से पहले हमें सौ बार सोचना चाहिए जाने किस मदद में परमात्मा स्वंय आया हो। बहुत से लोग ईश्वर आएगा-ईश्वर पर भरोसा है सब ठीक करेगा। यही करते रह जाते हैं। लेकिन ईश्वर जब किसी और रूप में मदद के लिए हमारे दरवाजे खोलता है तो हम बंद कर देते हैं। इसलिए मदद ठुकराने से पहले सौ बार सोचिए।
बाल कहानी संग्रह- “क्योंकि हर कहानी कुछ कहती है”
संपादक- पंकज तन्हा
प्रकाशक-दलबीर सिंह खालसा
प्रकाशन- “ओपन लैटर”