एमबीएम न्यूज/ऊना
युवा वेटर्नरी चिकित्सकों की टीम एक गरीब परिवार के लिए मसीहा से कम नहीं थी। बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाले हरोली विधानसभा क्षेत्र के ललड़ी गांव के गरीब रामपाल की भैंस अगर मर जाती तो उसके घर में शायद कई दिन तक चूल्हा भी नहीं जलता। परिवार की रोजी-रोटी भैंस के दूध से ही चलती है। दरअसल रामपाल की भैंस एक हादसे में घायल हो गई थी। इसके बाद गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म नहीं दे पा रही थी, क्योंकि जन्म नली बंद हो गई थी।
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ऊना से मौके पर पहुंची डॉक्टर निशांत रणौत, डॉ. हरीश जसवाल व डॉ मोनिका ठाकुर की टीम ने मौके पर ही भैंस का सिजेरियन करने का फैसला लिया। इसके लिए तिरपाल लगाकर ऑपरेशन थियेटर बना दिया गया। मामूली सी चूक महंगी पड़ सकती थी, क्योंकि इन परिस्थितियों में संक्रमण की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा था। लेकिन चिकित्सकों की टीम पूरी शिद्दत से इस कार्य को अंजाम देने में लगी रही।
अहम बात है कि रविवार की छुट्टी होने के बावजूद इस दुर्लभ ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। भैंस ने कटडे को जन्म दिया। परिवार की आंखों में खुशी चमक उठी। अहम बात है कि हादसे में भैंस का चूला टूट गया था। लिहाजा तीन टांगों पर ही चल रही थी। अब चिकित्सकों की राय के मुताबिक भैंस अब चारों टांगों पर भी चल पाएगी। क्षेत्र में एक भैंस की कीमत एक से दो लाख के बीच आंकी जाती है। गरीब परिवार दुधारू पशुओं का इंश्योरेंस करवाने में भी असहाय रहते हैं। लिहाजा दुधारू पशु के अचानक चले जाने से उनकी रोजी-रोटी पर भी आ पड़ती है।
जानकारी के मुताबिक भैंस से परिवार हर माह 5 से 7 हजार रुपए कमा लेता है। उधर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी निशांत रणौत का कहना था कि मौके पर सिजेरियन ऑपरेशन करना जटिल होता है। गौरतलब है कि चंद माह पहले युवा चिकित्सकों की टीम ने मानूवाला में भी एक गाय का दुर्लभ ऑपरेशन किया था। हालांकि सिजेरियन ऑपरेशन किए जाते हैं, लेकिन इसकी प्रतिशतता प्रदेश में काफी कम है।