चंडीगढ़/ दिल्ली, 20 फरवरी: चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आदेश दिया है कि मेयर चुनाव में अवैध किए गए 8 मत मान्य होंगे। देश की शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को मेयर के पद पर विजयी घोषित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित मतों को वैलिड करार दिया है। रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह ने इन मतों को अवैध बताया था। इसकी वजह से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को 30 जनवरी को हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी उम्मीदवार मनोज सोनकर 16 वोट हासिल कर मेयर बन गए थे, 36 में से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार 20 वोट मिले थे। 8 वोट रद्द कर दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में नतीजे को चुनौती दी गई थी।
ये है अंकगणित
भाजपा के 14 पार्षद हैं। इसके बाद 13 पार्षदों के साथ आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के 7 पार्षद हैं, एक पार्षद शिरोमणि अकाली दल के है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में स्थानीय सांसद को भी मतदान का अधिकार है। जीत के लिए 19 वोट के आंकड़े तक पहुंचना जरूरी था। बीजेपी के खेमे में पार्षदों और सांसद के एक वोट को मिलाकर कुल 15 वोट थे,निर्दलीय शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद के वोट को जोड़कर आंकड़ा 16 तक ही पहुंच रहा था।
30 जनवरी के चुनाव में आप के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षदों को मिलाकर आंकड़ा 20 था। कांग्रेस और आप के साझा उम्मीदवार के पक्ष में 20 वोट पड़े थे जिसमे से 8 वोट रिजेक्ट हुए लिहाजा कुलदीप कुमार के वोट वोट 12 ही बचे थे, इसके बाद बीजेपी उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया गया था।
उधर,रविवार रात तक सियासी गलियारों में चर्चा थी कि भाजपा एक बार फिर मेयर बनाने में कामयाब हो जाएगी। मनोज सोनकर ने पद से इस्तीफा दे दिया था ताकि दोबारा चुनाव हो सके। चुनाव में बहुमत साबित करने के लिए भाजपा ने आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद का जुगाड़ क्र लिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गेम को ही पलट दिया।