सोलन, 16 अगस्त : कहते हैं आवश्यकता अविष्कार की जननी है। यह बात कुम्हारहट्टी में नाहन रोड पर रहने वाली एक अधेड़ उम्र की बिमला देवी ने सही साबित कर दिखाई है। मेहनतकश महिला न तो दुकान का किराया देने में समर्थ थी। साथ ही कोई भी उसे हाईवे पर अपनी निजी जमीन में खोखा या फिर सामान बेचने की इजाजत नहीं देता था। कुम्हारहट्टी से चंद किलोमीटर आगे नाहन रोड पर कई लोगों की नजरें इस बात पर टिक जाती हैं कि कैसे एक मारूति वैन का इस्तेमाल दुकान के लिए किया गया है। दुकान में कन्फैक्शनरी के अलावा सब्जियां भी बेचती है।
मेहनतकश बेटे ने ही मां को एक ऐसी मारूति वैन का इंतजाम कर दिया, जिसकी कीमत मार्किट में चंद हजार ही बची होगी। कोरोना संकट में महिला की ये दुकान भी बंद थी। लिहाजा, गुजर-बसर में भी मुश्किल हुई। बहरहाल, यह तय है कि अगर मेहनतकश इंसान कुछ करने का प्रयास करे तो रास्ता निकल ही आता है। हाईवे से गुजरने वाले लोगों को ऐसे लोगों से खरीददारी जरूर करनी चाहिए। बता दें कि ये वैन भी तेज बरसात में टपकने लगती है। लिहाजा इसका इंतजाम भी तिरपाल डालकर किया गया है। निजी जीवन में भी महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उनका कहना था कि कुछ दूरी पर मकान है, लेकिन अमीर लोगों ने चारों तरफ से जमीनों को खोदना शुरू कर दिया है। इससे मकान को खतरा है। महिला बिमला देवी का कहना है कि इस बाबत मंत्री डॉ राजीव सैजल समेत अधिकारियों को कई मर्तबा आग्रह किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
ये बोली…
बेटा…पूरा दिन बैठती हूं। शाम तक 100-200 रूपए भी मिल जाए तो संतोष होता है। इससे ज्यादा आमदनी की कोई उम्मीद नहीं होती। मेरा बेटा सुबह इस वैन को लेकर इस जगह पर खड़ा कर देता है। दिन भर ग्राहकों की राह देखती रहती हूं। कोरोना संकट में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इंसान को मेहनत करते रहना चाहिए। फल ऊपर वाले की इच्छा पर निर्भर करता है।
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