मंंडी (वी कुमार): प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह रविवार को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में देवध्वनि कार्यक्रम के अनूठे कुंभ के गवाह बनें। अहम बात यह रही कि बजंतरियों ने आज अपना पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। पिछले साल का रिकॉर्ड 1806 बजंतरियों द्वारा एक साथ देवध्वनि का था। इस बार 1831 ने देवध्वनि कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
हालांकि संख्या को लेकर अधिकारिक आंकड़ा 2000 के आसपास बताया जा रहा है। लेकिन यह तय कि पिछला रिकॉर्ड टूटा है। सनद रहे कि हाल ही में 2016 शिवरात्रि महोत्सव में देवध्वनि कार्यक्रम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। रविवार को अपनी प्रस्तुति के दौरान समूचा शहर देव ध्वनि के रंग में रंग गया था।
इस दौरान सराज, बल्ह, सनोर और बदार घाटी के देवी-देवताओं के बजंतरियों ने भाग लिया और एक साथ देवध्वनि बजा कर माहौल को देवमयी बना दिया। कार्यक्रम में बजंतरियों के द्वारा बांब, ढोल, नागाड़े, शहनाई, नरसिंगा और करनाल की सामुहिक धुन प्रस्तुत की गई।
इस मौके पर क्या बोले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह…
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मंडी के पड्डल में आयोजित देवध्वनि कार्यक्रम पर लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे प्रदेश में देव संस्कृति है और देवता कोई राज्य या जिला का नहीं होता बल्कि देवता हमारे लिए बड़े बुजुर्ग की तरह होते हैं, इसी वजह से देवताओं में हमारा अटूट विश्वास रहा है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि हमारे मेले देवताओं के मेले होते हैं और देवताओं के बजंतरी इस परम्परा में एक मजबूत कडी हैं। सीएम ने कहा कि उनके जीवन में यह एक दुर्लभ पल थे, जब इस रिकॉर्ड को बनते हुए अपनी आंखों से देखा।
इसी के तहत इस बार के शिवरात्रि महोत्सव से देवताओं के बजंतरियों को भी मानदेय देने का ऐलान किया गया है।