नाहन (एमबीएम न्यूज): बेशक ही टीसीपी एक्ट का भवनों के निर्माण में उल्लंघन हो जाए, लेकिन संगड़ाह उपमंडल में गिरिनदी के किनारे पालर गांव में आज भी देव परंपरा का पालन होता है। समूचे गांव में एक मंजिल के ही मकान हैं। यह इतिहास 300 साल पुराना है। इस देव परंपरा का अब चर्चा में आने की एक खास वजह है। दरअसल नेवडिय़ा देवता की प्राचीन मूर्ति को स्थापित करने के लिए दो मंजिला मंदिर का निर्माण किया गया है।
14 से 25 फरवरी तक धार्मिक अनुष्ठान होगा। देवता की मूर्ति को हरिद्वार में स्नान करवाया जाएगा। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा होगी। उम्मीद है कि धार्मिक अनुष्ठान के बाद देवी-देवता ग्रामीणों को दो मंजिला भवन बनाने की इजाजत दे देंगे। 80 वर्षीय भजन सिंह व पुजारी चंद्रदेव बताते हैं कि गांव में बहुमंजिला इमारत न बनाए जाने का कारण कुल देवता नेवडिय़ा की अनुमति न मिलना है।
क्या है प्राचीन मूर्ति का इतिहास…
ऐसी धारणा है कि नेवडिय़ा देवता की यह मूर्ति किसी व्यक्ति को पालर खड्ड में मिली थी, जिसे देवता के आदेश पर गांव के बीचोंबीच स्थापित कर दिया गया। इसके बाद ही देवता ने सख्त आदेश दिए थे कि गांव में कोई भी अपना मकान दोमंजिला नहीं बनाएगा। लिहाजा देवता का आदेश टीसीपी एक्ट की तरह लागू है। बुजुर्गों का कहना है कि इस गांव में तीन शताब्दी पहले की नेवडिय़ा देवता की पाषाण प्रतिमा है।
200 वर्ष पहले डूबा था पालर गांव…
हालांकि प्रस्तावित रेणुका बांध परियोजना की जद में भी गांव आ रहा है। लेकिन बताते हैं कि 200 साल पहले पालर गांव पूरी तरह से पानी में डूब गया था। कबीले के राणा का वंश खत्म होने के साथ-साथ गांव भी जमीन में समा गया था। 100 साल पहले गांव दोबारा बसा।
कल से होगा धार्मिक अनुष्ठान…
नेवडिय़ां अवदूत आश्रम के महंत पुंडरीक गिरि ने बताया कि 14 से 25 फरवरी तक आश्रम में धार्मिक अनुष्ठान होगा। नेवडिय़ा देवता का अब तक चबूतरे पर निवास था, लेकिन अब दो मंजिला मंदिर तैयार है। लिहाजा लोगों को इंतजार है कि नेवडिय़ा देवता गांव में दो मंजिला भवन बनाने की अनुमति देंगे या नहीं।