शिमला/ नाहन (एमबीएम न्यूज): हाल ही में एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस बात का खुलासा किया था, 12 हजार फुट की ऊंचाई पर भारी बर्फ के बीच आस्था की जिद, जिंदगी को जिंदाबाद कह रही है। इसके बाद देश की कई नामी वैबसाइटस पर बात छा गई। इसी से प्रभावित होकर शिमला जिला के भराड़ी गांव के चार युवकों ने 10 घंटे का सफर बर्फ के बीच तय कर चोटी नाप डाली। पहुंच कर पाया, ब्रह्मचारी कमलानंद जी अपने सेवक के साथ आस्था की जिद व साधना के बूते सुरक्षित हैं।
पांच साल से सन्यासी विकट से विकट परिस्थितियों में चोटी पर रहते हैं। मौजूदा मौसम में असंभव माने जाने वाली इस ट्रैकिंग के सदस्य भराड़ी गांव के नरेश दास्टा, दिग्विजय सिंह ठाकुर, सुरेंद्र शर्मा व दिनेश दास्टा थे। चौपाल उपमंडल के सरैहन से 30 जनवरी सुबह 8 बजे ट्रैकिंग शुरू हुई। शाम साढ़े 5 बजे के आसपास चोटी पर पहुंचे। लगभग 40 मिनट बिताने के बाद युवाओं के ट्रैकिंग दल ने वापसी का सफर शुरू किया। हालांकि वापसी में चार से पांच घंटे लगे, लेकिन चढ़ाई व उतराई का सफर बेहद जोखिमपूर्ण था।
चोटी पर चलने वाली तेज हवाओं के कारण कई जगहों पर बर्फ की परत मोटी हो जाती है। मामूली सी चूक जानलेवा हो सकती है। टीम के हरेक सदस्य ने जरूरी सामान का एक-एक बैग उठाया हुआ था, जिसका वजन 10 किलो था। हालांकि चोटी पर 10 फुट के आसपास बर्फ मौजूद है, लेकिन ट्रैकिंग के रास्ते पर 15 से 18 फुट के बीच बर्फ पड़ी हुई है।
योग साधना के दम पर ही जिंदगी..
चोटी से लौटे युवाओं ने बताया कि वहां सामान्य जीवन नहीं है। योग साधना के दम पर ही जीवन बसर किया जा सकता है। हाल ही में बाबा के एक शिष्य कन्हैया ने भी जीवन को जोखिम में डालकर सरैहन से चढ़ाई शुरू की थी। 14 घंटे के बाद सेवक कन्हैया चोटी पर पहुंचने में कामयाब हुआ था।
बाबा विरेंद्रानंद जी भी पहुंचे चोटी पर..
स्वामी विरेंद्रानंद जी भी चोटी पर पहुंच गए हैं। अब यहां दोनों सन्यासी योग साधना में जुटे हैं। युवाओं ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि बुधवार को स्वामी विरेंद्रानंद जी ने भी चोटी की चढ़ाई पूरी कर ली है। गौरतलब है कि स्वामी विरेंद्रानंद जी कुछ समय पहले चोटी से उतर आए थे।
हाल ही में एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने अपने पाठकों को इस बात की भी जानकारी दी थी कि स्वामी विरेंद्रानंद जी व स्वामी कमलानंद जी के गुरु स्वामी श्यामानंद जी महाराज ने चोटी पर कई दशक पहले कैसे जीवन यापन किया था। दीगर है कि स्वामी श्यामानंद जी महाराज कई साल पहले समाधि में लीन हो गए थे।
चेतावनी : एमबीएम न्यूज नेटवर्क पाठकों से इस बात का आग्रह करता है कि इस तरह की जोखिमपूर्ण ट्रैकिंग का फैसला न लें, बशर्ते जब कि पूरी तरह से प्रशिक्षित न हों। चोटी पर चढऩे वाले यह युवक स्थानीय हैं। साथ ही क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों से बखूबी वाफिक हैं।