माता रेणुका जी व पुत्र भगवान परशुराम के मिलन का प्रतीक धार्मिक स्थल श्री रेणुका जी से कुछ किलोमीटर पहले एक प्राकृतिक स्थल बाबा बढ़ोलिया का मंदिर भी पर्यटकों को अपनी नैसगिंक सौंदर्य के कारण कुछ देर यहां ठहरने को विवश कर देता है। करीब 450 फीट उंची पहाड़ी से गिरता पानी का झरना इस मंदिर की सुंदरता ओर अधिक बढ़ा देता है। इस झरने से 12 महीने पानी बहता है।
इस मनमोहकता के कारण हरेक पर्यटक व श्रद्धालु यहां ठहरकर प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर आनंद उठाते हैं। बाबा बढ़ोलिया का मंदिर एक पत्थर पर स्थित है। विशेषकर श्रावण मास की सक्रांति को यहां अपार जनसमूह उमड़कर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करता है। प्रकृति ने भी इस स्थान को जी खोलकर अपना सौंदर्य प्रदान किया है। इसके साथ बहती जलाल नदी भी इसके सौंदर्य को चार चांद लगा रही है।
बढ़त नाम के महात्मा ने की थी घोर तपस्या
प्राचीन दंत कथा के अनुसार उक्त स्थान पर बढ़त नाम के साधु तपस्या करने के लिए आया था। साधु विष्णु भगवान की घोर तपस्या शुरू की। दुर्भाग्यवश साधु की तपस्या भंग हो गई। इसके बाद साधु अपना मानसिक संतुलन खोकर इधर-उधर घूमता रहा था। इसके चलते इस स्थान का नाम बढ़ोलिया पड़ा। इसके अलावा बढ़ोलिया पुल को लेकर एक अन्य किदंवती यह भी है कि भेड़े चराने वाला एक गडरिया यहां भेड़ों सहित आया और इस नाले में गिरकर उसकी मृत्यु हो गई थी।
इसी के चलते इस स्थान का नाम बढ़ोलिया पड़ा। प्रत्येक आने जाने वाली गाड़ी कुछ क्षणों के लिए यहां रूकती है। यात्री पुल पर बने दान पात्र में कुछ न कुछ दक्षिणा डालते हैं। यह भी कहा जाता है कि यहां पर भूतप्रेतों के कारण दुर्घटनाएं होती थी। मगर बाबा के प्रभाव से भूतप्रेतों का प्रकोप यहां समाप्त हो गया।