नाहन (एमबीएम न्यूज): उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर के मुख्य दानपात्र में सेंधमारी की घटना के ठीक एक साल बाद एक्शन हुआ है। मंदिर न्यास में तैनात एक कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही दो अस्थाई कर्मचारियों को बर्खास्त करने का फरमान जारी हुआ है। डीसी बीसी बडालिया ने पुष्टि की है।
वहीं मंदिर न्यास की सदस्य सचिव रिचा वर्मा ने कहा कि मंदिर के नियमित कर्मचारी व पुजारी गीताराम को चार्जशीट के बाद सस्पेंड किया गया है। जबकि दो अस्थाई कर्मचारियों बलवान व श्रवण को बर्खास्त कर दिया गया है। डॉ. वर्मा ने कहा कि नियमित कर्मचारी की चार्जशीट तैयार होने के बाद कार्रवाई की गई है।
मामला 6 सितंबर 2015 को उजागर हुआ था। एमबीएम न्यूज ने ही इस मामले का सबसे पहले खुलासा किया था। न्यास में लगभग 100 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं, जिन्हें सरकारी मापदंडों के तहत वेतन भत्ते मिलते हैं। हर साल 10 से 15 लाख श्रद्धालु मां के चरणों में शीश नवाते हैं। मुख्य दानपात्र में ही कथित सेंधमारी से प्रशासन के भी होश उड़ गए थे।
मोटे आंकड़ों के मुताबिक 2012-13 में मंदिर न्यास को 5 करोड़ 36 लाख की आमदनी हुई थी। अगले साल आंकड़ा 5 करोड़ 81 लाख था, जबकि 2014-15 में 7 करोड़ 50 लाख रुपए की नकद राशि अर्पित हुई। हर साल तकरीबन 50 तोले सोना व क्ंिवटल के आसपास चांदी भी मां के चरणों में अर्पित की जाती है।
मुख्य दानपात्र में सेंधमारी की घटना को लेकर प्रशासन ने भी पूरी सावधानी बरती। इस मामले से जुड़ी जांच को सार्वजनिक करने से संकोच किया गया। सूत्र बता रहे हैं कि निलंबन व बर्खास्तगी भी कुछ दिन पहले हुई है, लेकिन इसकी भनक बुधवार को ही लग पाई।
क्या है मामला?
दरअसल मंदिर के मुख्य दानपात्र के आसपास लगे सीसी कैमरे कुछ देर के लिए बंद हो जाते थे। शिकायत पर जब फुटेज खंगाली गई तो वास्तव में यह बात सामने आई कि कैमरे बंद होते हैं। फौरन ही 7 सितंबर 2015 को उस वक्त डयूटी पर तैनात कर्मचारियों को एसडीएम कार्यालय में तलब कर लिया गया। बकायदा बयान कलमबद्ध हुए। कर्मचारियों को फुटेज की प्रतिलिपियां भी उपलब्ध करवाई गई।