रिकांगपिओ: जिला स्तरीय जन्माष्टमी उत्सव 24 अगस्त को 12 हज़ार 778 फीट ऊंचाई युला कंडा में स्थित श्री कृष्ण मंदिर में मनाया जाएगा। किन्नौर के यूला कंडा में झील के बीच भगवान श्री कृष्ण का सुंदर मंदिर स्थित है। इस पवित्र स्थान तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एनएच-5 से टापरी व चोलिंग से दो मार्ग जो कि 8 किलोमीटर का सफर यूला गांव तक पहुंचने में लगता है। यूला बस स्टैंड से 12 किलोमीटर की पैदल दूरी पर यह पवित्र स्थल स्थित है। इस पवित्र मंदिर की ऊंचाई 12778 फीट है।
पांडव काल मे निर्मित है मंदिर
मान्यता है कि पवित्र झील के बीच कृष्ण मंदिर का निर्माण पांडवों ने वनवास के समय किया था। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हर धर्म के लोग दर्शन कर सकते हैं।
बुशहर रियासत से जुड़ा है इतिहास
समुद्र तल से 12778 फीट की ऊंचाई पर स्थित यूला कंडा जन्माष्टमी उत्सव का इतिहास बुशहर रियासत से भी जुड़ा है। मान्यता है कि तत्कालीन बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह के समय इस उत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। उस समय छोटे स्तर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव को भले ही आज जिला स्तरीय का दर्जा मिल चुका है।
टोपी तय करती है आपकी तकदीर
मेले को मनाने की परंपरा आज भी सदियों पुरानी है। मंदिर के कुछ मीटर ऊपर की तरफ एक लिखा हुआ पवित्र जल धारा बहता है। यकीन मानिए यहां आपकी तकदीर टोपियां तय करती है। ऐसा मान्यता है कि किन्नौरी टोपी उल्टी करके उस जलधारा में बहने के लिए छोड़ दी जाती है। अगर टोपी बिना डूबे तैरती हुई दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो समझो आपकी मनोकामना पूरी, भाग्य आपका साथ देगा। आने वाला साल भी आपके लिए खुशहाली लेकर आएगा। अगर टोपी डूब गई तो यह मानता है कि आने वाला साल आपके लिए अच्छा नहीं है।
नंगे पांव चलने से मिटते है रोग
पवित्र मंदिर से उत्तर-पूरब की तरफ रोरा खास का एक विशाल मैदान है। इस मैदान में मान्यता है कि नंगे पांव चलने पर कहीं गर्म तो कहीं ठंडा महसूस होता है। कई शरीर के रोग मिट जाते हैं। साथ लगती ऊँची-ऊँची पहाड़ियों पर 18 रंग के फूल है, जिसमें मुख्यत: ब्रह्मकमल प्रमुख हैं। लोग इन फूलों को पवित्र मंदिर में चढ़ावे के लिए भी लाते हैं। जन्माष्टमी के दिन तीर्थ यात्री, श्रद्धालु व पर्यटक विश्राम करते हैं। मंदिर कमेटी की तरफ से भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। उत्सव में श्रद्धालु अपनी-अपनी इच्छा से पूजा पाठ कर भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वही लोग पवित्र मंदिर की परिक्रमा करना नहीं भूलते। मान्यता है कि इस पवित्र श्री कृष्ण मंदिर की परिक्रमा करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। झील के बीच मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण से सुख-शांति का आशीर्वाद भी मिलता है।
उत्सव में सफाई का विशेष ध्यान
इस पवित्र धार्मिक स्थल को स्वच्छ साफ-सुथरा रखने के लिए युला ग्रामवासियों ने एक सोसाइटी का गठन किया है। बहुउद्देश्य सामाजिक कल्याण संघ का मुख्य उद्देश्य यूला गांव से लेकर समस्त युवा कंडा को साफ-सुथरा रखना, प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखना, साथ ही सबसे ऊंचे श्री कृष्ण मंदिर को दुनिया के मानचित्र पर उसे स्थान देना व पर्यटकों के लिए सुविधाएं जुटाना एवं पर्यटन को बढ़ावा देना है।