एमबीएम न्यूज़/नाहन
उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी के खजाने में सोने व चांदी का अकूत भंडार है। मगर विडंबना यह है कि इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक खजाने में 14.5 किलो सोने के अलावा 21.5 क्विंटल चांदी है, इसकी सुरक्षा के लिए 13 जवानों की तैनाती की गई है। मंदिर में ही स्ट्रांग रूम बनाया गया है। कुछ साल पहले तक ट्रेजरी के स्ट्रांग रूम में सोने व चांदी को रखा जाता था। साल 2006 में करीब 4.5 क्विंटल चांदी को पिघलाकर प्राचीन मंदिर की दीवारों पर गजब तरीके से नक्काशी की गई है।
पिछले 12 सालों में माता के भंडार में सोने व चांदी का वजन तो बढ़ रहा है,लेकिन इस्तेमाल नहीं पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक 2011 में हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पुर्त विन्यास अधिनियम 1984 में संशोधन किया गया था, इसके तहत 50% सोने को सिक्कों में परिवर्तित करने का प्रावधान किया गया था, ताकि इसे विद्यमान चालू बाजार कीमत पर श्रद्धालुओं का तीर्थ यात्रियों को बेचा जा सके। इसके अलावा चांदी के 60% इस्तेमाल को स्वीकृति दी गई थी, 20% चांदी मंदिर के विभिन्न क्रियाकलापों के लिए उपयोग में लाने का प्रावधान किया गया था, शेष 20% चांदी मंदिर में आरक्षित रखने का प्रावधान है।
जानकारों का कहना है कि मंदिर में चढ़ाई गई सोने व चांदी की गुणवत्ता को लेकर भी संशय रहता है, लेकिन ट्रस्ट को विश्वास है कि स्ट्रांग रूम रखे गए सोने की शुद्धता 85% व चांदी की शुद्धता 65% के आसपास होगी। दरअसल चांदी व सोने को प्रमाणित करने के लिए केंद्र सरकार का उपक्रम एमएमटीसी लिमिटेड ही अधिकृत है, लेकिन लंबे अरसे से एमएमटीसी के साथ राज्य सरकार का एमओयू साइन नहीं हुआ है। लिहाजा माता के दरबार में अर्पित सोने व चांदी पर धूल चढ़ रही है।
मोटे अनुमान के मुताबिक स्ट्रांग रूम में रखे गए सोने की कीमत 5 करोड़ के आसपास हो सकती है,जबकि चांदी की कीमत 1 से 2 करोड के बीच होगी। माता के दरबार में चढ़े सोने व चांदी के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था होती है अगर इन्हें मूर्तियों के रूप में श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाया जाए तो ट्रस्ट को मनचाही कीमत भी हासिल हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी के सिक्के व माता की मूर्तिया हाथो हाथ बिक जाएंगी।