एमबीएम न्यूज़/ नाहन
सिरमौर के पच्छाद विकास खंड मुख्यालय सराहां से 30 किलोमीटर दूर स्थित “महाकाल शिव मंदिर” मानगढ़ अद्भुत नक्काशी का खूबसूरत नमूना है। मंदिर का इतिहास पांडवों से जुड़ा है। प्राचीन मंदिर मध्य हिमालय की शिवालिक पहाडिय़ों की गोद में मानगढ़ में स्थित है। हालांकि साफ़ नहीं हैं कि मानगढ़ स्थित शिव मंदिर कितना पुराना हैं, लेकिन शोधकर्ताओं द्वारा मंदिर करीब 1500 साल से अधिक पुराना बताया जाता है।
इतिहासकारों व शिव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष दिनेश ठाकुर ने बताया कि मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है। इस मंदिर के दरवाजे को एक बड़ी शिल्ला से काटकर बनाया गया है। जिस पर अद्भुत नक्काशी भी की गई है। मंदिर की मूर्तियां को पत्थरों से काटकर बनाया गया है। खास बात यह है कि जिस पत्थर को काटकर मंदिर व मूर्तियां बनी हैं, वह पत्थर इस क्षेत्र में पाया ही नहीं जाता। बताया जाता है कि पत्थरों को भीम कही से उठा कर लाया था। मंदिर की दीवारों पर खुदे नक्षत्र दर्शन में पांच ग्रह ही दर्शाए गए हैं, जो इसके प्राचीनतम इतिहास के गवाह है।
यह मंदिर हिमाचल में ही नहीं, बल्कि अपने प्राचीनतम इतिहास को लेकर पूरे भारत व विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में स्थित महाकाल की शिवलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में गाय को मारते हुए बाघ व बाघ को मारते हुए अर्जुन के चित्रों को पत्थरों पर दिखाया गया है।
पांडवों द्वारा निर्मित शिव मंदिर के समीप ही भगवान कृष्ण का मंदिर है, जिसके इतिहास का पता नहीं है। स्थानीय भाषा में इस स्थान को ठाकुरद्वारा भी पुकारा जाता है। इसका अर्थ है, भगवान विष्णु का निवास स्थान। कृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना के साथ-साथ जन्माष्टमी पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। शिव व कृष्ण मंदिर के पास एक नाला बहता है, जो थोडी दूरी पर एक बडे झरने का रूप धारण कर लेता है। इसे सिरमौर का सबसे ऊंचा जल प्रपात ” झरना” माना जाता है। इसकी ऊंचाई 125 मीटर से अधिक बताई जाती है।
वर्ष 1992 में मानगढ़ शिव मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने अधीन ले लिया। विडंबना यह है कि पुरात्व विभाग के अधीन चले जाने के बाद भी यह मंदिर राष्ट्रीय स्तर पर बैजनाथ शिव मंदिर की तरह अपनी पहचान नहीं बना पाया। जबकि इस शिव मंदिर व बैजनाथ शिव मंदिर में काफी बाते एक-दुसरे से मिलती है। वर्ष 2003-04 में शिव मंदिर के समीप खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को गणेश मंदिर भी मिला था। जिसका निर्माण गुप्त काल की शैली में हुआ है। यह मंदिर ईसा में 2500 वर्ष पूर्व निर्मित या पांचवी, छठी शताब्दी का बताया जाता है।
दो बीघा जमीन में कई बार हो चुकी खुदाई
पुरातत्व विभाग के पास शिव मंदिर के आसपास दो बीघा जमीन है। जिसमें विभाग कई बार खुदाई का कार्य कर नए मंदिरों के बारे में और जानकारी जुटाने के प्रयास कर चुका है। पुरातत्व विभाग द्वारा यहां एक स्मारक परिचायक भी नियुक्त किया गया है। स्मारक परिचायक परशुराणी त्रिपाठी ने बताया कि यह शिव मंदिर गुप्त कालीन शैली में बना है। जो छठी शताब्दी से भी पुराना है।