अभिषेक मिश्रा/बिलासपुर
उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल एवं महाऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि मार्कंडेय मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान निर्माण कर रही कंपनी ने मार्कंडेय स्नानागार में बने प्राचीन गौमुख को तोड़ दिया। जिसके बाद से स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष है। प्राचीन मंदिर में तोड़ा गया गौमुख
गौरतलब है की मार्कंडेय मंदिर पर्यटन विभाग द्वारा सौंदर्यकरण किया जा रहा है। जिस पर करोड़ो रु व्यय किए जा रहे हैं। यहाँ पर मंदिर का सौंदर्यकरण कर रही कंपनी के काम को लेकर पहले भी कई बार सवाल उठ खड़े हुए है चाहे वह मार्कंडेय मंदिर परिसर में साफ़ सफाई को लेकर हो या मंदिर निर्माण के कार्य में गुणवता को लेकर इस बारे में स्थानीय लोगो का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त से मिल कर इस बारे में शिकायत भी कर चुका है।
इसके बाद अब यहाँ पर एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। निर्माण कर रही कंपनी ने मार्कंडेय स्नानागार में बने प्राचीन गौमुख को रातोंरात तोड़ दिया। जिसका पता स्थानीय लोगों को शुक्रवार सुबह उस समय लगा जब वह स्नान करने के लिए मार्कंडेय स्नानागार पहुंचे। यहाँ पर पहुँचने के बाद स्थानीय लोगों ने देखा की निर्माण कर रही कंपनी ने मार्कंडेय स्नानागार में बने प्राचीन गौमुख को तोड़ कर वहा से पानी के लिए आगे पाइप लगा दी जिसकी वजह से यह प्राचीन गौमुख खंडित हो गया।
इस प्राचीन गौमुख को लेकर कई प्राचीन मान्यताएँ है। इस बारे में भृगुसहिता ज्ञाता पंडित सुख राम जोशी ने बताया कि मान्यता के अनुसार यह प्राचीन गौमुख बहुत प्राचीन है। इसकी स्थापना प्राचीन काल में ऋषि मुनियों द्वारा की गई थी। कहा जाता है कि मार्कंडेय जी के चरणों के निचे से निकलने वाला यह जल जब गौमुख से होकर निकलता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि गौमुख से निकलने वाले इस जल के नीचे स्नान कर लेने के बाद ही मार्कंडेय स्नान का फल प्राप्त होता है।
इस गौमुख को लेकर लोगों में भारी आस्था है। यहाँ के लोग इसके खंडित होने के बाद काफी गुस्से में है। स्थानीय निवासी बाबु राम ठाकुर, चैतन्य शर्मा, अनिल ठाकुर, नरेंद्र संख्यांन, संजीव संख्यान, पंडित मनोहर लाल, कमल देव, नवदीप शर्मा, रविन्द्र ठाकुर, विनोद कश्यप रतन लाल इत्यादि ने कहा कि सौंदर्यकरण के नाम पर लाखों लोगों की धार्मिक आस्था तथा प्राचीन धरोहरों को खंडित किया जा रहा है। जिसे वह किसी भी सूरत में सहन नहीं करेंगे।
निर्माण कर रही कंपनी ने इसे तोड़ने से पहले किसी भी स्थानीय को पूछना तक उचित नही समझा न ही इसकी मान्यता के बारे में किसी से जानना चाहा। स्थानीय लोगो का कहना है, कि निर्माण कर रही कंपनी को यहाँ पर कोई भी तोड़फोड़ करने से पहले इनकी मान्यताओ के बारे में जानना चाहिए। कोई भी तोड़फोड़ करने से पहले स्थानीय लोगो की सहमती लेनी चाहिए थी।
स्थानीय लोगो ने इस बारे में शनिवार को मार्कंडेय मंदिर में बैठक बुलाई है। जिसमे पुरे क्षेत्र के लोगो को बुलाया जा रहा है। जिसके बाद इस बारे में आगामी रणनीति का निर्माण किया जायेगा।
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