कुल्लू (नीना गौतम) : देवभूमि कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में चल रहे 108 कुंडीय महायज्ञ में सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं ने गुरू दीक्षा ग्रहण की। इस अवसर पर गायत्री परिवार के प्रमुख एवं देव संस्कृति शांतिकुंज विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रणव पांडया प्रमुख रूप से उपस्थित रहे और श्रद्धालुओं को उन्होंने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ में सभी देवी देवताओं का आह्वान करके यहां बुलाया गया है और जितने भी श्रद्धालू यहां पर उपस्थित हैं वे सौभाग्यशाली हैं कि 18 करोड़ देवी देवताओं के साथ यज्ञ कर रहे हैं।
इस अवसर पर उन्होंने गुरू दीक्षा का भी महत्व बताया। इस अवसर पर गायत्री परिवार के हजारों श्रद्धालू कुल्लू पहुंचे हुए हैं। गौर रहे कि लोक जागरण जन सम्मेलन 108 कुंडिय गायत्री महायज्ञ जो ढालपुर मैदान कुल्लू में चल रहा है। उसके तीसरे दिन सोमवार प्रात: हजारों श्रद्धालुओं के बीच यज्ञ आरंभ हुआ।
विशेष रूप से अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पांडया ने आज की विषम परिस्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संस्कारों के महत्व एवं ऋषि मुनियों की धरोहर के महत्व को सभी विपदाओं का निदान संभव बताया। शांति कुंज हरिद्वार में आचार्य श्रीराम शर्मा के सुक्षम संरक्षण में चल रही गतिविधियों से भी अवगत करवाया। आतंकवाद की समाप्ति हेतू भी विशेष आहुतियां दी गई।
इस यज्ञ में मुख्य रूप से प्रेम पाल रांटा सेशन जज कुल्लू अपनी पत्नि सहित उपस्थित रहे। यज्ञ में वातवरण का दृश्य अति आकर्षक एवं प्रभावशाली देखने योग्य बन रहा था। 18 करडू की देवभूमि कुल्लू के ऐतिहासिक मैदान (सौह) में जहां हवन प्रक्रिया से पूरा कुल्लू हवनमय हुआ। वहीं, कुल्लू की धरती में देव आह्वान करके सभी 18 करोड़ देवी देवताओं को इस यज्ञ में आमंत्रित किया गया है। जैसे ही अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांडे ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में पहुंचे तो उनके चरण देव धरती पर पड़ते ही जहां वारिश थम गई वहीं यहां का वातावरण कुल्लवी वाद्य यंत्रों से गुंज उठा।
बहरहाल देवभूमि कुल्लू में महायज्ञ से धरती पूरी तरह से देवमय हुई है और श्रद्धालुओं के मंत्रोंच्चारण में धरती सराबोर है। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति सभी परिवार के लोगों से अलग-अलग मिले और परिचय लिया। गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी छेले सिंह ठाकुर ने बताया कि मंगलवार को सामुहिक जप, ध्यान, प्रज्ञायोग, गायत्री महायज्ञ, विभिन्न संस्कार के बाद पूर्णाहुति होगी।