घुमारवीं (सुभाष गौतम) : बिलासपुर जनपद के बनने से पहले ईलाका राजाओं के अधीन था। रिसायत काल में ही भगवान शिव शंकर के एक मंदिर का निर्माण हुआ था। जो भांखडा बांध के निर्माण में जलमग्र हो गया। एक मंदिर में भगवान शिव की अराधना हुआ करती थी तो दूसरे में भगवान शंकर के दूसरे बेटे की। इन मंदिरों की मान्यता सुनकर आप हैरान हो सकते है। इन मंदिरों को ईलाके के लोग आज खानम खेसर के नाम से जानते है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने प्राचीन मंदिरों की मान्यताओं को जानने के मकसद से 95 साल के बुर्जुग छज्जू राम से बात की।
उन्होंने बताया कि जब रियासत में बारिश नहीं होती थी तो बिलासपुर रियासत के राजा इस मंदिर पर जल चढ़ाया करते थे। इसके लिए लोगों की लंबी कतारें सतलुज नदी तक लग जाती थी। भगवान शंकर को अर्पित किया गया जल सीधा सतलुज नदी में मिल जाता था तो अपने आप ही बारिश शुरू हो जाती थी। इन मंदिरों का अस्तित्व व्यास गुफा के नजदीक सांढू मैदान में था।
ऐसी भी धारणा है कि पौराणिक समय में ऋषि व्यास इसी गुफा से चलकर हर दिन स्नान करने मारकंडा में जाते थे। बिलासपुर का नामाकरण भी ऋषि व्यास के नाम पर ही हुआ है। छज्जू राम का कहना है कि भांखडा बांध के निर्माण से बनी गोविंद सागर झील में रियासतकाल के इन मंदिरों के कुछ अवशेष देखे जा सकते है। जो जनपद के पुराने इतिहास की याद को तरोताजा करते है।