नाहन ( रेणु/संध्या ): देहरादून हाईवे पर बोहलियो से चंद मीटर दूरी पर एक अदभुत पेड़ मौजूद है। 20 से 25 फुट ऊंचे इस प्लक्ष (गुल्लर) के पेड़ की रेडियो कार्बन डेटिंग की जा रही है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों। इसकी वजह इस अनोखे पेड़ की वैज्ञानिक तरीके से उम्र पता लगाई जा रही है। हालांकि धारणा यह है कि हजारों साल पुराने इस पेड़ के नीचे से ही पवित्र सरस्वती नदी का उदगम हुआ था।
पुराणों के मुताबिक नदी धरती के नीचे अदृश्य बहती है। हालांकि पवित्र नदी के उदगम को लेकर भी अलग-अलग धारणाएं हैं, लेकिन कार्बन डेटिंग से असल बात का भी पता चल सकता है। महर्षि मार्केण्डेय मेडिकल कॉलेज मुलाना (अंबाला) में प्रोफेसर ऑफ सर्जरी डॉ. शरदेंदु बाली बोहलियो के नजदीक इस पवित्र स्थान के शोध में एक अरसे से लगे हुए हैं। इन्होंने ही वन व पर्यावरण मंत्रालय को इस पेड़ की रेडियो कार्बन डेटिंग की गुजारिश की थी। इसके बाद मंत्रालय से राज्य के वन विभाग को इस बाबत निर्देश मिले हैं।
वन अरण्यपाल डॉ. वाई पी गुप्ता ने कहा है कि इस बारे उचित कदम उठाए जा रहे हैं। अहम बात यह है कि इस अनोखे पेड़ की कार्बन डेटिंग अफ्रीका में एक ब्रिटिश वैज्ञानिक के शोध से प्रेरित होगी। कार्बन डेटिंग के फैसले से खुश नजर आ रहे स्वामी तीर्थानंद का कहना है कि वह करीब दो दशक से यह कहते आए हैं कि इसी स्थान से पवित्र नदी सरस्वती का उदगम हुआ है। इसका उल्लेख नारद पुराण में भी मिलता है।
क्या है इस पेड़ की खासियत..
हजारों साल पुराने बताए जाने वाला गुल्लर का यह पेड़ भीतर से खोखला है। करीब 25 फुट ऊंचे इस वृक्ष में कोई भी व्यक्ति नीचे से घुसकर पेड़ के अंतिम छोर से बाहर निकल सकता है। ऐसी भी मान्यता है कि महर्षि मार्कण्डेय ने इसी पेड़ के नीचे तप किया था।