मंडी (वी कुमार) : आंगनबाड़ी वर्कर एवं हैल्पर समन्वय समिति का दो महीनों में ही राज्य सरकार से मोहभंग हो गया और यही कारण रहा कि मंगलवार को समन्वय समिति को भंग करते हुए सभी कार्यकर्ताओं ने फिर से सीटू का दामन थाम लिया। बता दें कि इस समिति का गठन दो कांग्रेसी नेताओं के इशारों पर किया गया था। समिति भंग होने से हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के उपाध्यक्ष चंद्रशेखर और बाल कल्याण समिति के सदस्य राजेंद्र मोहन के मंसूबों पर पानी फिर गया है।
बता दें कि गत 7 मई को सीटू से संबधित आंगनबाड़ी वरकर्ज एंड हेल्पर्ज यूनियन की पूर्व राज्य सह सचिव भावना राणा की अध्यक्षता में समन्वय समिति का गठन किया गया था। समिति के गठन में शामिल रही भावना राणा, निशा देवी और मंजुला ठाकुर ने बताया कि उन्होंने कुछ कार्यकर्ताओं के सुझाव पर अलग यूनियन बनाने का फैसला जल्दबाजी में ले लिया था। उन्हें यह भ्रम था कि यदि वे सीटू से अलग होकर अलग से मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मिलेंगी तो शायद उनका मानदेय सरकार बढ़ा देगी।
जब इस बारे 30 मई को मुख्यमंत्री तथा 11 जून को विभाग के मंत्री को ज्ञापन दिए, तो उन्होंने भी इनकी मांगों पर सिर्फ कोरे आश्वासन ही दिए। अब इन्होंने तय किया है कि सब एकजुट होकर सीटू से संबंधित यूनियन के बैनर तले ही अपनी मांगों के लिए संघर्ष करेंगी। भावना राणा ने बताया कि सीटू से संबंधित यूनियन ही हिमाचल प्रदेश व पूरे देश में हमारी मांगों के लिए लगातार और ईमानदारी से आवाज उठाती रही है। जिस कारण कई राज्यों में इनका मानदेय बढ़ा है। लेकिन हिमाचल ही एक ऐसा राज्य हैं जहां राज्य सरकार उन्हें केवल 450 रुपए दे रही है।
सीटू के बारे दिए गए अपने ब्यानों पर भी इन नेत्रियों ने खेद व्यक्त किया है। भावना राणा ने बताया कि वे वर्तमान में सीटू से संबंधित यूनियन के धर्मपुर प्रोजेक्ट की सचिव व जिला की सह सचिव हैं और इस पद पर भविष्य में भी कार्य करती रहेंगी और अपनी मांगों के लिए संघर्ष और तेज करेंगी। इस मौके पर उनके साथ सीटू के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, सुमित्रा ठाकुर, विमला शर्मा आदि भी मौजूद रहे।