मंडी (वी. कुमार): 14वें वित्तायोग से पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों की वित्तिय शक्तियों को कम करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा जहां इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहरा रही है वहीं राज्य सरकार इसके लिए केंद्र की गाईडलाईन का हवाला दे रही है।
मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि पूर्व सरकार के समय में जब 13वें वित्तायोग का पैसा राज्य को आया था तो उसमें यह प्रावधान था कि यह पैसा पंचायत प्रतिनिधियों को बांटना है। जिसके तहत पूर्व की भाजपा सरकार ने 70 प्रतिशत पैसा पंचायतों को, 20 प्रतिशत जिला परिषदों को और 10 प्रतिशत पंचायत समितियों को बांट दिया था। हालांकि इससे पहले पंचायत समिति और जिला परिषद को धन देने का प्रावधान नहीं था। लेकिन प्रदेश में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो राज्य की कांग्रेस सरकार ने भी इसमें कोई छेडछाड़ नहीं की और 13वें वित्तायोग के पैसे को बांटने का सिलसिला उसी प्रकार से जारी रहा।
पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा पैसे को इस प्रकार से बांटने पर केंद्र ने भी कड़ी आपति जाहीर की थी। यही कारण है कि इस 14वें वित्तायोग को जो पैसा आया है उसमें साफ-साफ शब्दों में लिखा गया है कि यह पैसा सिर्फ और सिर्फ पंचायतों के माध्यम से ही खर्च किया जायेगा। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा का कहना है कि अगर राज्य सरकार इस गाईडलाईन में बदलाव करके इस पैसे को पंचायत समिति या फिर जिला परिषद को बांटने का प्रयास करती है तो 14वें वित्तायोग के तहत केंद्र से मिलने वाली और आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी।
अनिल शर्मा ने कहा कि भाजपा नेता इस बात को बेवजह तूल दे रहे हैं और इसे एक मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीएम वीरभद्र सिंह ने इस बारे में केंद्र सरकार को खत लिखा है और केंद्र सरकार से इस पैसे का आबंटन जिला परिषद और पंचायत समितियों को भी करने की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि अब अगामी निर्णय केंद्र सरकार द्वारा ही लिया जाना है।