घुमारवीं : हिमाचल प्रदेश में हाल ही में सरकार द्वारा माननीयों के यात्रा भत्ते में वृद्धि कर सालाना चार लाख कर दिया है। मगर घुमारवीं विधायक राजेंद्र गर्ग ने इन भत्तों को लेने से इंकार कर दिया है। विधायक ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने जो यात्रा भत्ता बढाया है, मैं उसको निजी तौर पर नहीं लूंगा। आपको बता दें कि यह विधायक की अपनी राय है, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर विधायक साहब को खूब कोस रही है। अगर यही बात विधायक राजेंद्र गर्ग विधान सभा में कहते तो शायद बिल पास ही नहीं होता।
सही बात तो यह है कि उनका यह निजी फैसला ही काफी है कि उन्होने इस बढ़े हुए यात्रा भत्ते को लेने से साफ इंकार कर दिया है। घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस सरकार में घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी जो मुख्य संसदीय सचिव रहे थे ने भी सरकारी गाड़ी नहीं ली थी। न ही किसी प्रकार का सरकारी भता लिया था। जिसका खुलासा एक आरटीआई एक्टिविस्ट देव आशीष भट्टाचार्य ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांगी गई आरटीआई रिपोर्ट में किया था। हिमाचल प्रदेश के मुख्य संसदीय सचिव राजेश धर्माणी का सरकारी खर्च न के बराबर ही था।
आपको बता दें कि घुमारवीं के विधायक को यह निर्णय इसलिए भी लेने पड़ते हैं क्योंकि घुमारवीं के लोग पूरे हिमाचल में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है। इसका प्रमाण है हिमाचल प्रदेश का घुमारवीं रोजगार कार्यालय। जहाँ एक से एक बढ़कर शिक्षा के क्षेत्र में महारत हासिल किए लोग दर्ज पड़े हैं। यहाँ किसी भी विधायक को इतना मौका नहीं दिया जाता कि वो जनता के ऊपर राज कर सके। चाहे पंडित सीता राम हो या नारायण सिंह स्वामी। चाहे कांग्रेस के ठाकुर कशमीर सिंह हो या कर्म देव धर्माणी। चाहे कांग्रेस के विधायक राजेश धर्माणी हो या भाजपा के राजेंद्र गर्ग। यहाँ के लोगों ने विधायकों पर राज किया है, न की विधायक लॉबी ने जनता पर। इसलिए दोनों विधायकों के निर्णय सम्मान योग्य हैं। घुमारवीं की जनता को अपने विधायकों पर नाज़ है।