धर्मशाला, (एमबीएम ब्यूरो) : क्या कांग्रेस के तेजर्रार नेता जीएस बाली ने हिमाचल में बढ़ती बेरोजगारों की फौज को ताकत समझकर अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत के सुर उठाए है या फिर इसकी वजह कांग्रेस आलाकमान से नजदीकियां है। यही दो बातें सियासी हल्कों में चर्चा का विषय है। बाली के बगावती कदम से हाल ही में कांग्रेस की राजनीति में खासी हलचल पैदा हो गई थी। शिमला की पत्रकारवार्ता में बाली ने अधिकारियों को दूर रखा। साफ है कि वह अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने का मन बनाकर आए थे। यह तय है कि अगर प्रदेश के बेरोजगार एकजुट होकर बाली के साथ हों, तो बाली मुख्यमंत्री बनने का सपना भी साकार कर सकते हैं। लेकिन इसकी गारंटी नहीं है कि प्रदेश के बेरोजगार बाली के साथ हो जाएंगे।
बगावत की बड़ी वजह एचआरटीसी में कंडक्टरों की भर्तियां भी माना जा रहा है। बाली को अपनी सियासत में एक ऐसा धड़ा चाहिए था, जो भीड़ भी जुटा लें। साथ ही उनकी राजनीतिक इच्छा को भी जमीन दिला दे। अगर गौर किया जाए तो कई विधानसभा क्षेत्रों में बाली के कट्टर समर्थक है, जो भविष्य में पार्टी प्रत्याशी भी बनने की कोशिश कर सकते हैं। इन तमाम चर्चाओं के बीच सबसे बड़ी बात यह है कि कांगड़ा जिला में बाली क्या कर पाएंगे, क्योंकि इसी जिला के दम पर प्रदेश में सरकार बनती है। अब तक बाली के समर्थन में कांगड़ा के नेता नहीं आए है।