धर्मशाला (एमबीएम न्यूज): हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की जमा दो परीक्षा का नतीजा जारी हुए कई दिन बीत चुके हैं। हरेक तरीके से परिणाम की समीक्षा हो चुकी है, लेकिन यह बात हर किसी की नजरों से ओझल है कि कला संकाय में सरकारी स्कूलों ने निजी पाठशालाओं को एकतरफा पछाड़ा है।
आप जानकर हैरान होंगे कि आर्टस संकाय की टॉप-10 में 14 छात्र-छात्राओं ने जगह बनाई थी, जिसमें से 1 छात्रों का संबंध सरकारी स्कूलों से रहा। यहां तक की टॉपर भी सरकारी स्कूल द्रंग की नेहा थी। संयुक्त तौर पर पांचवा स्थान बिलासपुर के नम्होल की एक निजी पाठशाला को मिला। इसी स्कूल की छात्रा नौंवे स्थान पर भी रही। दसवें स्थान पर भी एक निजी स्कूल की छात्रा ने मैरिट में जगह बनाई।
रोचक बात यह भी है कि इस मैरिट सूची में 14 में से 13 स्थान बेटियों ने हासिल किए। सरकारी स्कूल की छात्रा ने टॉपर बनकर 95.20 प्रतिशत अंक हासिल किए। मैरिट सूची 92 प्रतिशत पर बंद हुई। लिहाजा सरकारी स्कूलों में भी बच्चे पढक़र 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल कर रहे हैं। कॉमर्स संकाय में भी ऐसा नहीं कि सरकारी स्कूलों की मौजूदगी दर्ज न हुई हो। 14 में से 5 छात्र सरकारी स्कूलों के थे। विज्ञान संकाय में भी 27 में से 6 स्थान सरकारी स्कूलों को मिले।
कुल मिलाकर मैरिट के 55 में से 28 स्थान सरकारी स्कूलों को मिले हैं। यानि कतई भी इस बात को नहीं स्वीकार किया जाना चाहिए कि सौ फीसदी सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता घटी है।
क्या साईंस से ही चलता है निजी स्कूलों का कारोबार…
जमा दो की परीक्षा में विज्ञान व कॉमर्स की मैरिट सूची में निजी स्कूल आगे रहे। सवाल यह भी उठा है कि क्या निजी स्कूलों द्वारा आर्टस की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं केंद्रित किया जाता, क्योंकि इसमें कमाई की गुंजाइश नहीं होती है। पहले साईंस पढ़ाई जाती है, फिर कोचिंग दिए जाने का धंधा भी स्कूलों में चल रहा है। आर्टस संकाय में बेहतरीन शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों की पीठ थपथपाई जानी चाहिए। आर्टस संकाय से पढक़र प्रदेश के होनहार मेधावी छात्र आईएएस व आईपीएस जैसी परीक्षाओं के लिए बड़ी आसानी से नींव तैयार कर सकते हैं।