शिमला (शैलेंद्र कालरा): चौपाल उपमंडल के गुम्मा के ठीक नीचे टौंस नदी के किनारे लाशों का ढेर लग गया। इन लाशों को सडक़ तक पहुंचाने में भी खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस रोंगटे खड़े कर देने वाले हादसे ने हर किसी को विचलित करके रख दिया है। यकीन कीजिए, लाशों को ढकने के लिए कफन तक नहीं थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने हाल ही में सिरमौर में सडक़ों के किनारे क्यों बनाए जाते हैं मंदिर शीर्षक से एक खबर भी प्रकाशित की थी। एक साथ 44 लोगों की मौत से अब सरकार को लाजमी तौर पर हरकत में आना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हादसे का पहला कसूरवार चालक को ही माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी उठा है कि क्या उस जगह पर क्रैश बैरियर या फिर पैराफिट थे, जो चालक की गलती को अपने ऊपर ले लेते, ताकि 44 मासूम लोगों की जिंदगी न जाती।
सुबह से ही इस खबर पर हमने लगातार नजर बनाए रखी। मौके पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क का विशेष प्रतिनिधि पहुंचा तो लाशों की गिनती की जा रही थी। आंकड़ा 44 पर रुका। हादसे में परिचालक समेत दो लोगों ने समय रहते ही छलांग लगा दी थी। जिनके मुताबिक बस में 46 लोग ही सवार थे। हादसा इस कदर भयानक था कि एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा। एक ओर न्यायिक जांच के आदेश दे दिए जाएंगे, फिर वही ढाक के तीन पात।
बार-बार यही सवाल है कि जब सडक़ों के किनारे ऐसी खतरनाक ढांके हैं, जहां से गिरने पर किसी के बचने की उम्मीद नहीं रहती तो ऐसी जगहों पर क्रैश बैरियर क्यों नहीं लगाए जाते। शिमला के डीसी रोहन ठाकुर मौके पर पहुंचे। एसपी डी डब्ल्यू नेगी ने शवों को बाहर निकालने का पूरा ऑपरेशन कार्यालय ऑपरेट किया।
उत्तराखंड ने एनडीआरएफ की टीम को हेलीकॉप्टर के जरिए मौके पर भेजा तो सही, लेकिन कुदरत की मार देखिए, एक भी व्यक्ति की सांस नहीं चल रही थी।
बनेगा मंदिर..
यकीन मानिए, रोनहाट व हरिपुरधार के अलावा शिमला के चौपाल उपमंडल में ऐसी जगहों पर लोग मंदिर बना देते हैं, जहां से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो। इन मंदिरों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। प्रश्न यह है कि सरकार जाग कर इस जगह पर क्रैश बैरियर लगाएगी या फिर लोग उन लोगों की आत्मा की शांति के लिए मंदिर का निर्माण कर देंगे, जिनकी इस हादसे में मौत हो गई है।
सोचिए जरा…
मौके की कुछ तस्वीरें इतनी भयावक, जिन्हें शेयर नहीं किया जा सकता था। कईयों के सिर धड़ से अलग हो गए थे तो कईयों के शरीर के अंग छिटक कर कई मीटर दूर गिरे हुए थे। यहां शिमला व सिरमौर पुलिस के जवानों के साथ-साथ उन लोगों की हिम्मत को मानना पड़ेगा, जिन्होंने इन शवों को समेट कर सडक़ तक पहुंचाया। करीब एक घंटे की चढ़ाई में शवों को कंधों पर ढोया गया।
सिरमौर में तीन की गई जान..
बुधवार को संगड़ाह उपमंडल में एक ही जगह पर दो हादसे हुए। इसमें तीन व्यक्तियों की जान गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पहले हादसे में शायद दो लोगों की जान बच जाती, अगर क्रैश बैरियर होते। वहीं दूसरे हादसे की वजह रोड कटिंग में कथित लापरवाही को माना जा रहा है। पत्थर इतनी तेज गति से लुढक़कर सडक़ की तरफ आए कि पिकअप के साथ ही खाई में समा गए।